उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर देश का पहला ऐसा मंदिर बनने जा रहा है, जहां दिव्यांगों को सबसे ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी। मंदिर समिति ने 1 जनवरी से हाईटेक सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही अब भस्मारती में भी दिव्यांगों को वीआईपी दर्जा देने का निर्णय लिया है। दिव्यांगजनों को आईडी और प्रमाण पत्र दिखाने पर तुरंत अनुमति दे दी जाएगी। मंदिर प्रशासक अवधेश शर्मा ने इसके निर्देश जारी किए हैं।
महाकाल मंदिर में दिव्यांगों को अभी कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। आने-जाने के लिए पृथक मार्ग और व्हील चेयर की व्यवस्था है। जगह-जगह विशेष रैंप भी लगे हुए हैं। दृष्टिबाधित दिव्यांगों के लिए विशेष पाथवे है, जिस पर चलकर वे अंदर जाते हैं।
समिति ने बीते दिनों ने 1 जनवरी से अन्य सुविधाएं कराने का निर्णय भी लिया था। इसके तहत दिव्यांगों को विशेष स्टिक दी जाएगी, जिसकी सहायता से बिना किसी सहारे के मंदिर के अंदर जा सकेंगे। इसके अलावा विशेष ईयर फोन दिए जाएंगे, जो मार्ग बताएगा। अब अफसरों ने भस्मारती में भी दिव्यांगों को विशेष दर्जा देने का निर्णय लिया है।
समिति ने नियमों की जानकारी के लिए 10 स्थानों पर बैनर लगाए, वेबसाइट पर भी होगा प्रचार
हाल ही में मंदिर में नियमों को लेकर विवाद सामने आया। दरअसल मंदिर की परंपरा है कि भस्मारती व प्रवेश बंद के दौरान पुरुष सोले और महिलाएं साड़ी पहनकर ही गर्भगृह में प्रवेश कर सकती हैं। इस ड्रेस कोड के बिना प्रवेश नहीं दिया जा सकता।
कई श्रद्घालुओं को इसकी जानकारी नहीं होती और प्रवेश के लिए विवाद करते हैं। इसके चलते अब समिति ने नियमों की जानकारी देने के लिए परिसर में 10 स्थानों पर बैनर लगाए हैं। इन पर सभी नियमों की जानकारी दी गई है। इसके अलावा वेबसाइट और एप पर नियम प्रसारित किए जाएंगे। ताकि श्रद्घालु पूरी तैयारी से मंदिर आएं और अनावश्यक विवाद न हों।
अनुमति पर्ची और एसएमएस में भी लिखे जाएंगे नियम
प्रशासक शर्मा के अनुसार जल्द ही भस्मारती अनुमति की पर्ची और मंदिर समिति द्वारा भेजे जाने वाले एसएमएस में भी उक्त नियम लिखे जाएंगे, ताकि श्रद्घालु इनसे अवगत रहें।
आंकड़ों में भस्मारती
-मंदिर में प्रतिदिन 1700 लोगों को भस्मारती अनुमति दी जाती है।
-400 अनुमति ऑनलाइन होती है।
-900 अनुमति मंदिर के काउंटर से ऑफलाइन मिलती है।
-400 अनुमति वीआईपी, प्रोटोकॉल और पंडे-पुजारियों को दी जाती है।
-नववर्ष, शिवरात्रि सहित अन्य प्रमुख अवसरों पर ऑनलाइन अनुमति बंद रहती है। सभी 1700 अनुमति काउंटर से ही दी जाती है।
देश-विदेश से आरती में शामिल होने आते हैं श्रद्घालु
भगवान महाकालेश्वर की भस्मारती का अनूठा महत्व है। देश-विदेश से खासतौर पर श्रद्घालु आरती में शामिल होने आते हैं। आरती तड़के 4 बजे प्रारंभ होती है और 6 बजे तक चलती है। श्रावण मास में आरती का समय बदल दिया जाता है। रात 2.30 बजे से आरती प्रारंभ हो जाती है। वर्ष में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि के दूसरे दिन दोपहर 12 बजे भस्मारती होती है। धार्मिक मान्यता अनुसार अनादिकाल से भगवान को तड़के भस्मी स्नान कराया जा रहा है।
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