(आगर-मालवा)। 472 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले देश के पहले गो-अभयारण्य में में 3 महीने में सप्लाई हुए करीब 35 लाख स्र्पए के चारे में भ्रष्टाचार की आशंका पैदा हो गई है। चारे की क्वालिटी पर सवाल खड़े करने की बजाय जिला प्रशासन मामले में लीपापोती करने में जुटा है।
नईदुनिया टीम ने बुधवार को जब हकीकत देखी तो चारे में 50 ग्राम से 5 किलो तक के पत्थर तो मिट्टी, रेत निकली। यही चारा गायों को खाने के लिए दिया जा रहा था। इसके बाद भी जिम्मेदार गायों के मरने का ठीकरा जंगली पौधे और पॉलीथिन पर फोड़ रहे हैं। चारे के सेम्पल लैब में भोपाल भेजने की अलावा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जबकि मामले के खुलासे में ही चार दिन बीत चुके हैं।
सुसनेर से 15 किमी दूर सालरिया गो-अभयारण्य में बुधवार को भी 5 गायों ने दम तोड़ दिया। नईदुनिया टीम को जिला प्रशासन के दावे और हकीकत दोनों कोसों दूर नजर आए। नर्मदा, भुवनेश्वरी, गोदावरी, प्रियदर्शनी, श्रद्धा, शुभ्रा जैसे नाम जरूर गायों को रखने वाले 24 शेड के बाहर लिखे थे किंतु कुछ में गायें मृत पड़ी थीं तो कुछ तड़प रही थीं। इन शेड के पास ही बने चारे के गोदामों से मजदूर खराब चारा हटाकर फेंक रहे थे।
जंगली जानवर ने नोचा
प्रशासन को शेड के नीचे वे गायें नहीं दिख रही, जो तड़प-तड़पकर मर रही हैं और मृत गायों को शेड के पिछले हिस्से में जंगली जानवर ने नोच दिया। गड्ढे और खुले में गायों के कंकाल पड़े दिखे। ग्रामीणों का दावा है कि 300 से अधिक गायें जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से मर गईं।
दावे को झूठलाते हुए मंंगलवार तक सिर्फ 52 गायों की मौत की पुष्टि ही अफसर करते नजर आए। उल्लेखनीय है कि 27 सितंबर 2017 में गो-अभयारण्य का शुभारंभ किया गया था। वर्तमान में यहां 4200 से अधिक गायें हैं। इनकी देखभाल के लिए 7 चौकीदार और 85 अन्य कर्मचारी तैनात हैं। साथ ही एक अधिकारी के साथ 9 पशु चिकित्सक भी पदस्थ हैं।
35 लाख का चारा, 3 लाख की दवा फिर मौत क्यों?
अभयारण्य प्रबंधन की मानें तो तीन महीने में 35 लाख स्र्पए का चारा और 3 लाख स्र्पए की दवा खरीदी जा चुकी है। वहीं मजदूरों पर 15 लाख स्र्पए खर्च किए तो फिर गायों की मौत क्यों हो रही, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।
सीधी बात : गो-अभयारण्य उपसंचालक एसवी कौसरवार
-गायों की मौत कैसे हुई?
- निमोनिया, पॉलीथिन और गेंदी के जंगली पौधे खाने से।
गायें पॉलीथिन व जंगली पौधे खा रही थीं तो रोका क्यों नहीं?
-मृत गायों ने पहले से पॉलीथिन खा रखी थी। यहां जंगल में चरने के दौरान जंगली पौधे खा लिए।
चारे की क्वालिटी घटिया थी?
- जांच के लिए नमूने खाद्य अनुसंधान केंद्र भोपाल भेजे हैं, वहीं से रिपोर्ट आएगी कि चारा खाने योग्य है या नहीं।
- गायों की अब मौत न हो, इसके क्या उपाय किए?
- चिकित्सकों की टीम लगाई है, जो हर बीमार गाय की देखभाल कर रही है।
इनका कहना है
यदि कंकड़-पत्थर और प्लास्टिक चारे में हैं तो ये गाय के अमाशय में अटक जाएंगे। ऐसे में गोबर करना बंद हो जाएगा और गैस बनेगी। जानवर खाना बंद कर देंगे और कमजोर होकर कुछ ही दिन में मर जाएंगे। जंगली पौधे खाना फूड पॉइजनिंग करेगा। ऐसे में गाय का मरना -डॉ. बीपी शुक्ला, पशु चिकित्सक, वेटरनरी अस्पताल, महू तय है।
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