Thursday, 22nd May 2025

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लखनऊ में इमरजेंसी मीटिंग, ओवैसी पहुंचे; ट्रिपल तलाक मसले पर हो सकती है चर्चा

Sun, Dec 24, 2017 8:22 PM

लखनऊ. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB) ने रविवार को लखनऊ में आज इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। इसमें शिरकत के लिए असदउद्दीन ओवैसी और जफरयाब जिलानी समेत तमाम बड़े नेता पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है कि मीटिंग में ट्रिपल तलाक पर संसद में पेश किए जाने वाले कानून पर चर्चा हो सकती है। बता दें कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक बार में ट्रिपल तलाक को गैर कानूनी करार दिए जाने के बाद अब इस पर कानून बनाने का फैसला किया है। यह बिल जल्द ही संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार ने बिल तैयार करने के पहले मुस्लिम समाज की राय नहीं ली है।

 

मीटिंग में कौन?

- मीटिंग के लिए AIMPLB के चेयरमैन मौलाना राबे हसन नदवी, मौलाना सईद मोहम्मद वली रहमानी, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, ख़लीलुल रहमान सज्जाद नौमानी, मौलाना फजलुर रहीम , मौलाना सलमान हुसैनी नदवी, हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन औवैसी और जफरयाब जिलानी पहुंचे हैं। वर्किग कमेटी के 51 मेंबर को बुलाया गया है।

मौलाना वाजदी ने क्या कहा?

- मौलाना नदीम उल वाजदी ने कहा- हर छोटे बड़े बिल पर सरकार राय लेती है, लेकिन इतने बड़े मुद्दे पर सरकार ने कोई राय नहीं ली है। तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार समाज को बांटने का काम कर रही है।

- कई मुस्लिम पदाधिकारियों का कहना है कि जब इस्लाम में तीन तलाक को खुद गलत माना गया है तो ऐसे में सरकार को बिल लाने की क्या जरूरत है?

- केन्द्र सरकार ने तीन तलाक रोकने के लिए मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक बनाया है। जिसे तीन तलाक बिल भी कहा जा रहा है। एक बार में तीन तलाक देने वाले को तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।

- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने बताया, "बैठक बेहद महत्वपूर्ण हैं। कई मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।"


क्या है बिल में

- केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार (15 दिसंबर) को 'मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल' को मंजूरी दे दी। इस बिल के तहत यदि पति, पत्नी को एक बार में तीन तलाक देता है तो उसे जेल हो सकती है। जमानत भी नहीं मिल सकेगी। इसके अलावा पत्नी और बच्चों के लिए हर्जाना भी देना पड़ेगा।

- अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी करार दिया था। इसके बाद भी देश में ट्रिपल तलाक से जुड़े कुछ मामले सामने आए थे। सरकार की तरफ से कहा गया था वो तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए नया कानून ला सकती है।

मुस्लिम संगठनों से नहीं ली गई कोई राय

- सरकार ने कहा कि एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के खिलाफ विधेयक तैयार करने में मुस्लिम संगठनों से कोई राय नहीं ली गई है। सरकार ने कहा कि यह मुद्दा लैंगिक न्याय, लैंगिक समानता और महिलाओं की गरिमा की मानवीय अवधारणा से जुड़ा हुआ है, आस्था और धर्म का कोई संबंध नहीं है।

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