नई दिल्ली.हिमाचल प्रदेश के नए सीएम के तौर पर आज जेपी. नड्डा के नाम का एलान होने की पूरी उम्मीद है। जयराम ठाकुर को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। उन्हें बड़े पोर्टफोलियो भी दिए जा सकते हैं। बीजेपी हाईकमान यह फैसला इसलिए कर रहा है क्योंकि हिमाचल में ठाकुर कम्युनिटी ज्यादा है और नड्डा ब्राह्मण हैं। बीजेपी के सामने यह दिक्कत प्रेम कुमार धूमल के हारने की वजह से हुई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार नड्डा के लिए बिलालपुर सदर सीट खाली कराई जा सकती है।
कोरग्रुप के लिए आसान नहीं था यह फैसला
- हिमाचल के सीएम के लिए जेपी नड्डा के नाम पर भाजपा कोर ग्रुप ने काफी विचार किया। इस फैसले तक पहुंचना हाईकमान के लिए आसान नहीं था। इसलिए पार्टी को कई फैक्टर पर विचार करना पड़ा।
- धूमल भले चुनाव हार गए। लेकिन ऑब्जर्वर निर्मला सीतारमण और नरेंद्र सिंह तोमर ने कोर ग्रुप के नेताओं, विधायकों, सांसदों के साथ सीएम पोस्ट को लेकर सलाह मशविरा किया। ज्यादातर विधायक धूमल के फेवर में थे। जबकि सांसदों में इसको लेकर राय साफ नहीं थी।
- धूमल विरोधी माने जाने वाले एमपी और सीनियर लीडर शांता कुमार ने तो विधायकों में से ही किसी को सीएम बनाने का सुझाव दिया। स्थिति साफ नहीं हुई तो बिना किसी ठोस फैसले पर पहुंचे दोनों केंद्रीय ऑब्जर्वर 22 दिसंबर को शिमला से दिल्ली लौट आए थे।
- इसके बाद हाईकमान से चर्चा हुई। लेकिन सूत्रों के मुताबिक मोदी-शाह ने विधानसभा चुनाव हार चुके धूमल को सीएम नहीं बनाने का फैसला लिया। अरुण जेटली ने भी धूमल से बातचीत की तो उन्होंने पार्टी के फैसले पर सहमति दे दी।
नड्डा के साथ जयराम को लाने की वजह क्या?
- हिमाचल में धूमल गुट बनाम जयराम गुट के टकराव को देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने दोनों में से किसी को भी सीएम नहीं बनाने का कठोर फैसला ले लिया। लेकिन पार्टी के सामने चुनौती थी कि जिस तरह से कांग्रेस में वीरभद्र समेत हैवीवेट नेता चुनाव जीतकर आए हैं। बीजेपी को इनके मुकाबले के ही किसी नेता को सीएम बनाना होगा।
- ऐसे में मोदी-शाह ने एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपीरिएंस और साफ-सुथरी छवि वाले जगत प्रकाश नड्डा को सीएम की कमान सौंपने का फैसला किया। हालांकि, ये भी सही है कि सामाजिक समीकरण के लिहाज से हिमाचल में हमेशा ठाकुर नेता ही बागडोर संभालते रहे हैं।
- हिमाचल में ठाकुर 36 जबकि ब्राह्मण 22 फीसदी के करीब है। ऐसे में ब्राह्ण नेता नड्डा को सीएम बनाने पर लोकसभा चुनाव में नाराजगी का सामना करना पड़ सकता था। इसलिए पार्टी ने जयराम ठाकुर को नंबर टू की हैसियत देने का फैसला लिया।
जयराम बनाम धूमल गुट की भिड़ंत से केंद्र दुखी
- सेंट्रल ऑब्जर्वरों की मौजूदगी में जिस तरह से पहले जयराम गुट और फिर धूमल गुट ने नारेबाजी की और नौबत हाथापाई तक पहुंच गई थी, उससे पार्टी हाईकमान काफी खफा है। पार्टी ने किसी दबाव में झुकने की बजाए सख्त संदेश देने का मन बना लिया।
हर जिले में ठाकुर नेतृत्व को बढ़ावा देगी:
- हिमाचल के सामाजिक समीकरण को देखते हुए भाजपा ने सभी जिलों में ठाकुर नेतृत्व को तरजीह देने का भी फार्मूला बनाया है। जिन जिलों में ठाकुर नेता चुनाव जीतकर आए हैं। उनमें से ज्यादातर को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी।
- भाजपा की कोशिश है कि ठाकुरों को पूरी तवज्जो मिले और जिन जिलों में ठाकुर नेता को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलेगी वहां पर बोर्ड आदि में जगह देकर रूतबा दिया जाएगा।
भाजपा के बागी 60 नेताओं पर होगी कार्रवाई
- विधानसभा चुनावों में भाजपा के 60 नेताओं ने पार्टी के ऑफिशियल कैंडिडेट्स के खिलाफ काम किया। इसकी शिकायतें हाईकमान के पास पहुंच गई हैं।
- पार्टी स्टेट चीफ ने कहा कि पहले ही कुछ ब्लॉक लेवल के नेताओं को बाहर किया जा चुका है। लेकिन बीजेपी में किसी को सस्पेंड करने का तरीका है। इसमें मंडल से जिला और जिले से राज्य अध्यक्ष के पास प्रस्ताव भेजे जाते हैं।
पिसाई में पत्थर आने की तरह किरकिरा हुआ जीत का स्वाद : सत्ती
- हिमाचल भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने अपने अंदाज में कहा कि पिसाई में पत्थर आने से जिस तरह से आटे के स्वाद किरकिरा होता है, उसी तरह से कई स्थानों पर ऐसे परिणाम रहे, जिनकी उम्मीद नहीं थी।
- पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल की हार सबसे ज्यादा चौंकाने वाली थी। मुझे भी हार का सामना करना पड़ा। गुलाब सिंह ठाकुर, रविंद्र रवि सहित कई ऐसे नेता हैं, जिनकी हार चौकाने वाली थी। हार का एक कारण नहीं होता है, हर हलके में हार के कारण अलग होते हैं। बड़े नेता या मेरी हार क्यों हुई, इस हार की जांच के लिए फिलहाल कोई पैनल बनाने की योजना नहीं है।
- उन्होंने कहा कि हिमाचल का सीएम कौन होगा, इसका इंतजार मुझे भी हिमाचल की जनता की तरह है। केंद्रीय पर्यवेक्षक हिमाचल आए थे, उन्होंने भाजपा की कोर कमेटी के साथ बैठक की है। इमसें सभी की राय जान ली है।
- इसकी पूरी रिपोर्ट ऑब्जर्वरों ने बीजेपी अध्यक्ष को यह रिपोर्ट सौंप दी है। अब इस मामले में नेशनल प्रेसिडेंट और पीएम नरेंद्र मोदी को फैसला लेना है। उनके स्तर पर फैसला लेने के बाद दिल्ली या शिमला से इसका एलान किया जाएगा।
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