बड़वानी। मातृ शक्ति जब कुछ करने का ठान लेती है तो बाधाएं दूर भागते देर नहीं लगती। जिले की आर्थिक रूप से कमजोर 10 महिलाओं ने एक समूह बनाकर सिलाई और अन्य काम शुरू किया। काम शुरू हुआ और रोज 75 रुपए आय होने लगी। चार साल में सबकी मेहनत और लगन ने ऐसा कमाल दिखाया कि अब हर सदस्य 15 से 30 हजार रुपए महीने कमा रही हैं।
उन्होंने स्वयं को इतना मजबूत बना लिया कि शासकीय मदद की जरूरत नहीं रही। हाल ही में 35 महिलाओं ने अपने बीपीएल कार्ड शासन को लौटा दिए हैं। यह प्रेरक मिसाल जिले की ठीकरी तहसील की ग्राम पंचायत पीपरी की है। आर्थिक रूप से कमजोर 10 महिलाओं ने लगभग चार साल पहले बचाकर रखे 40 हजार रुपए और बैंक से 60 हजार का ऋण लेकर श्रीगणेश महिला आजीविका सिलाई केंद्र आरंभ किया। 3 हजार रुपए किराए पर कमरा लिया और 7 सिलाई मशीन खरीद कर छोटा-मोटा काम शुरू कर दिया। फिर रेडीमेड व्यापारियों से काम मिलने लगा। अब समूह पुराने सरकारी अस्पताल में संचालित होने लगा।
ऐसे पाया मुकाम समूह की शुरुआती सदस्य वैशाली चौधरी ने बताया कि समूह में 75 से अधिक महिलाएं शामिल हो चुकी हैं। पापड़, चिक्की, सेवाइयां, आलू चिप्स, अगरबत्ती और साबुन बनाना भी शुरू कर दिया है। यहां 200 से अधिक महिलाओं को काम पर रखा हुआ है। शुरुआती तीन साल संघर्ष के रहे। छोटे-मोटे ऑर्डर मिले और इंदौर से कपड़ा लाए, सिलकर स्थानीय बाजार में बेचा। फिर समीप स्थित आईनॉक्स कंपनी के कर्मचारियों के लिए यूनिफॉर्म बनाने का बड़ा काम मिला।
गत वर्ष स्वच्छता अभियान के लिए 50 हजार टी-शर्ट बनाए और अब एक लाख टी-शर्ट बनाने का शासकीय ऑर्डर मिला है। समूह 1600 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण भी दे चुका है। पतियों को भी दिया रोजगार समूह की 75 महिलाओं में से करीब 60 के पति क्षेत्र में ही स्थित सेंचुरी डेनिम फैक्टरी में कार्यरत थे। अक्टूबर माह में कंपनी का प्रबंध्ान बदलने के बाद से श्रमिकों ने हड़ताल कर रखी है। इसके चलते कई महिला सदस्यों के पति बेरोजगार हो गए। ऐसी स्थिति में खुद स्थापित हो चुकी महिलाओं ने करीब 20 पतियों को भी अपने साथ रोजगार दे दिया है।
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