Saturday, 24th May 2025

पॉल्यूशन के हालात नहीं सुधरे तो जनवरी से दिल्ली में लागूू हो सकता है ऑड-ईवन

Fri, Dec 22, 2017 6:53 PM

नई दिल्ली.राजधानी में बढ़ते पॉल्यूशन के हालात को देखते हुए जनवरी से ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू हो सकता है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने दिल्ली सरकार से इसके लिए तैयार रहने की बात कही है। दिल्ली में एवरेज एयर क्वालिटी इंडेक्स बुधवार के मुकाबले 100 से ज्यादा बढ़कर गुरुवार को (AQI) 469 रिकॉर्ड हुआ। पॉल्यूशन के हालात पर सीपीसीबी ऑफिस में टास्क फोर्स की मीटिंग भी हुई। इसमें अगले महीने 19 से 30 जनवरी तक एशियन समिट को लेकर चर्चा की गई। बता दें कि दिल्ली सरकार एंटी स्मॉग गन का ट्रायल कर रही है। चीन में पिछले महीने इससे 20% तक पॉल्यूशन कम हुआ था।

 

AQI दिसंबर में सबसे ज्यादा

- सीपीसीबी की मीटिंग में दिल्ली की एयर क्वालिटी के हालात का रिव्यू किया गया। इसकी अध्यक्षता सीपीसीबी के मेंबर सेक्रेटरी ए सुधाकर ने की। इसमें सीपीसीबी के सीनियर साइंटिस्ट डी साहा भी मौजूद थे।

- साहा ने बताया कि दिल्ली में हवाओं की रफ्तार सिमट कर 5 किलोमीटर प्रति घंटे तक रह गई। इसकी वजह से घना कोहरा छाया रहा और पॉल्यूशन लेवल सीवियर कैटेगरी तक जा पहुंचा। सीपीसीबी के पॉल्यूशन मॉनिटरिंग स्टेशनों में PM 2.5 और PM 10 का 24 घंटे का एवरेज एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में 469 तक हो गया। बुधवार को यह 359 था।

ऑड-ईवन लागू करना चाहती थी सरकार

- बता दें कि गुरुवार को अरविंद केजरीवाल ने 13 से 17 नवंबर तक ऑड-ईवन स्कीम लागू करने के ऑर्डर दिए थे। लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इसे लागू करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए रोक लगाई थी।

9 नवंबर को सबसे ज्यादा पॉल्यूशन

- इसके पहले 7 से 13 नवंबर के बीच दिल्ली में एक्यूआई सीवियर लेवल पर पहुंचा था। 9 नवंबर को AQI सबसे ज्यादा 486 रिकॉर्ड हुआ था।

- बता दें कि 500 के लेवल पर एयर क्वालिटी इंडेक्स के 400 से ऊपर पहुंचने पर इसे सीवियर (खतरनाक) माना जाता है।

पॉल्यूशन पर 19 जनवरी से होगी एशियन समिट

- वेदर डिपार्टमेंट ने गुरुवार के लिए कम रफ्तार से हवा और घने कोहरे की संभावना जताई थी। इस कारण पॉल्यूशन का लेवल बढ़ गया। इसी मुद्दे को देखते हुए अगले साल दिल्ली में 19 से 30 जनवरी तक एशियन समिट होने वाली है। 
- इस दौरान पॉल्यूशन से निपटने के लिए कुछ सिफारिशें की गईं। इस दौरान ग्रैप (ग्रेडड एक्शन रिस्पॉन्स प्लान) के तहत सीवियर कैटेगरी में एक्शन लेने की एजेंसियों से सिफारिश की गई है।

- इनके मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के सभी ईंट-भट्टे, हॉट मिक्स प्लांट्स और स्टोन क्रशर्स 31 जनवरी तक बंद करने, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने, सड़कों-पेड़ों पर पानी से छिड़काव बढ़ाने और सड़कों पर धूल साफ की जाए।

दिल्ली में किस कारण कितना प्रदूषण

 

पीएम 2.5

 

गाड़ियों के धुएं से बढ़ता है पीएम 2.5 : 25%

आईआईटी कानपुर की जनवरी 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वाहनों से 25% तक पॉल्यूशन होता है। ये प्रदूषित कण वातावरण में फैल कर पीएम 2.5 जैसे जानलेवा प्रदूषित कणों को बढ़ा रहे है।

 

कोयले व धुएं की राख से प्रदूषण : 5%

दिल्ली में रेस्टोरेंट, फैक्ट्री, इंडस्ट्रीयल एरिया में कोयला का इस्तेमाल भी किया जाता है। प्लास्टिक हो या कोई भी मटेरियल, इनसे जो राख बचती है, उससे उड़ने वाला धुआं पीएम 2.5 के स्तर को 5 प्रतिशत तक बढ़ा देता है।

 

इंडस्ट्रियां बढ़ाती हैं सेकंडरी पॉल्यूटेंट्स : 30%

एक्सपर्ट का कहना है कि नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसे अन्य पॉल्यूटेड पार्टिकल्स वातावरण में फैल रहे हैं। इन्हें इंडस्ट्रीज व फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं बढ़ा रहे हैं जो 30% है।

 

कचरा जलने से फैलने वाला प्रदूषण : 8%

गाजीपुर, ओखला और भलस्वा लैंडफिल साइटों में अक्सर कूड़ा जल जाता है। दिल्ली के वातावरण में इसका योगदान पीएम 2.5 के स्तर को बढ़ाने में 8% प्रतिशत है।

 

पराली से होने वाला पॉल्यूशन : 26%

प्रदूषण का दूसरा बड़ा फैक्टर पराली है, जिससे पॉल्यूशन लेवल भयावह स्थिति में पहुंच जाता है। पीएम 2.5 को बढ़ाने में पराली का 26 प्रतिशत तक योगदान है।

 

रोड डस्ट व कंस्ट्रक्शन से होने वाला प्रदूषण : 6%

आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 2.5 का लेवल बढ़ाने में रोड डस्ट व कंस्ट्रक्शन से फैलने वाले प्रदूषण का कॉन्ट्रिब्यूशन 6 प्रतिशत तक है।

 

पीएम-10

 

रोड डस्ट और कंस्ट्रक्शन : 56%

आबोहवा में सबसे ज्यादा पीएम 10 रोड डस्ट और कंस्ट्रक्शन साइटों से बढ़ता है। इनसे 56% स्तर बढ़ जाता है।

 

इंडस्ट्री व फैक्ट्रियों का धुआं : 20%

प्रदूषण फैलाने में फैक्ट्रियों व इंडस्ट्रीज का काफी योगदान है। यह पीएम 10 का स्तर 20 प्रतिशत तक बढ़ा रहा है।

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