ग्वालियर, राज्य वन सेवा परीक्षा के लिए मप्र पीएससी के विवादास्पद नियम से महिला अभ्यर्थियों में तनाव में होने के साथ-साथ नाराजगी भी है। नईदुनिया में खबर प्रकाशित होने के बाद इस मामले को राज्य महिला आयोग ने भी संज्ञान में लिया है। महिला आयोग की सदस्य प्रमिला वाजपेयी का कहना है कि पुरुषों के सामान महिलाओं के शरीरिक मापदंड की मांग अनुचित है।
जब एसआई परीक्षा में इस तरह की बाध्यता नहीं है तो फिर राज्य वन सेवा परीक्षा में ऐसा क्यों? इस बाध्यता को समाप्त किया जाना चाहिए। महिला अभ्यार्थी इस नियम को वापस लेने की मांग कर रही हैं। इस मामले को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी की जा रही है। हालांकि, वन मंत्रालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक खांडेकर परीक्षा के बाद इस मापदंड को शिथिल करने की बात कह रहे हैं।
यह है विवादास्पद नियम- मप्र पीएससी ने राज्य वन सेवा परीक्षा में सहायक वन संरक्षक के 6 पद व वन क्षेत्रपाल के 100 पदों के लिए ऑनलाइन विज्ञापन 12 दिसंबर को जारी किया है। इस विज्ञापन के अनुसार 18 फरवरी को परीक्षा होनी है। इसके लिए 8 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। परीक्षा के अलावा, दोनों पदों के लिए महिला अभ्यार्थियों के लिए पुरुषों के समान ही शरीरिक मापदंड की बाध्यता रखी गई है।
इसके तहत पुरुषों के समान ही महिलाओं को भी 5 सेमी सीना फुलाना होगा। 74 सेमी सीने की अनिर्वायता रखी गई है। ऐसा नहीं होने पर महिला परीक्षार्थियों को इस पद के लिए अपात्र माना जाएगा। इसके साथ ही वन संरक्षक के लिए 4 घंटे में 14 व वन क्षेत्रपाल के लिए 16 किलोमीटर पैदल भी चलना होगा।
मैं तो विज्ञापन पढ़कर ही तनाव में हूं
शिंदे की छावनी निवासी शिखा परिहार ने अंग्रेजी से एमए किया है। एक बार वह पुलिस सब इंस्पेक्टर की परीक्षा दे चुकी हैं। अब पीएससी की तैयारी के साथ- साथ वन क्षेत्रपाल की परीक्षा का मन बना रही थीं। उनका कहना है कि विज्ञापन पढ़कर उनका सिर चकरा गया और वह तनाव में आ गई हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की बाध्यता तो एसआई परीक्षा में भी नहीं थी। इस अव्यवहारिक शर्त को हटाया जाना चाहिए, जिससे महिलाएं भी इन पदों के लिए तनावमुक्त होकर आवेदन कर सकें।
जनहित याचिका दायर करेंगे
महिला परीक्षार्थी अब मप्र पीएससी की राज्य वन सेवा परीक्षा के लिए महिलाओं के लिए सीने की शर्त को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी कर रही हैं। वे जल्द ही कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगी।
इस तरह के नियमों को बदला जाना चाहिए
पीएससी की तैयारी कर रहीं सुनंदा का कहना है कि विज्ञापन पढ़कर वह स्तब्ध हैं। महिलाओं को अपमानजनक स्थिति से बचाने के लिए इस बाध्यता को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए।
परीक्षा करा लेने दीजिए पीएससी का काम परीक्षा कराना है, परीक्षा करा लेने दीजिए। मेडिकल फिटनेस हमारा विभाग ही करेगा। यदि कोई विवादास्पद नियम गलती से जुड़ गया है तो परीक्षा के बाद उसे शिथिल कर दिया जाएगा। - दीपक खांडेकर, अतिरिक्त मुख्य सचिव
महिलाओं के लिए ऐसी बाध्यता हास्यप्रद मप्र पीएससी पहले यह बताए कि यह परीक्षा सहायक वन संरक्षक व वन क्षेत्रपाल के लिए ही है या फिर अन्य किसी आयोजन के लिए है। यह शर्त हास्यप्रद है। पुरुषों के समान 74 सेमी व फुलाकर 5 सेमी सीना मांगना अनुचित है। पुरुषों के लिए सीने की माप शरीरिक क्षमता आंकने के लिए की जाती है, लेकिन महिलाओं के लिए बाध्यता गलत है और कानून की दृष्टि से अनुचित है। - मुकेश गुप्ता, अभिभाषक
विभाग ने जो भर्ती नियम पीएससी को उपलब्ध कराए थे उसी के अनुसार विज्ञापन जारी किया गया है। यदि नियमों में बदलाव विभाग करेगा तो हम संशोधित नोटिफिकेशन जारी कर देंगे। - वंदना वैद्य उपसचिव, लोकसेवा आयोग मप्र
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