नई दिल्ली। दुकानदारों को डेबिट कार्ड के उपयोग के लिए बढ़ावा देने की दिशा में सरकार ने एक अहम फैसला किया है। अब डेबिट कार्ड से दो हजार रुपये तक की ग्राहकों द्वारा खरीदारी किये जाने पर दुकानदारों पर लगने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) का बोझ सरकार स्वयं उठाएगी। रिटेल दुकानदारों को यह शुल्क अब बैंकों को नहीं देना होगा।
शुक्रवार को कैबिनेट में इसका फैसला हुआ जिससे उम्मीद है कि छोटी-छोटी दुकानों में डेबिट कार्ड या अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों से होने वाली खरीदारी बढ़ेगी। कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि डेबिट कार्ड के साथ ही यूपीआइ और आधार पर आधारित व्यवस्था (एआइपीएस) के जरिये भुगतान पर भी दुकानदारों को यह सुविधा मिलेगी। यानी उन्हें बैंकों को अलग से शुल्क नहीं देना होगा।
प्रसाद ने इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताया। उन्होंने कहा कि अप्रैल-सितंबर, 2017 के दौरान 2.18 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन डेबिट कार्ड से हुआ जो मार्च, 2018 तक बढ़कर 4.27 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। इसका तकरीबन 20 फीसद हिस्सा दो हजार रुपये से कम की लेनदेन वाला होता है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार दो वर्षों में करीब 2512 करोड़ रुपया का वित्तीय भारत वहन करेगी। सनद रहे कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद से सरकार की तरफ से डेबिट कार्ड समेत डिजिटल भुगतान के तमाम विकल्पों को बढ़ावा देने की लगातार कोशिश की जा रही है।
आरबीआई का डाटा बताता है कि नोटबंदी के बाद के दो-तीन महीने तक डेबिट कार्ड के उपयोग में भारी वृद्धि हुई लेकिन उसके बाद इसकी वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ गई। इसके लिए सबसे बड़ी वजह एमडीआर को ही बताया जा रहा है।
खुदरा व्यापारियों के संगठन का कहना है कि बैंकों के स्तर पर एमडीआर की दर बहुत ज्यादा है। इसकी वजह से छोटे कारोबारी इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। पिछले दिनों आरबीआइ ने एमडीआर की दरों को भी संशोधित किया है। लेकिन अब केंद्र सरकार की तरफ से दो हजार रुपये तक की बिक्री पर एमडीआर समाप्त करने से छोटे कारोबारियों में डिजिटल भुगतान का प्रचलन बढ़ सकता है।
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