जगदलपुर.बीजापुर जिले के बासागुड़ा स्थित सीआरपीएफ 168 वीं बटालियन के कैंप के अंदर हुए खूनी खेल का पूरा खुलासा हो गया है। इस हत्याकांड के पीछे का मूल कारण हत्या के आरोपी जवान संतकुमार को अनुशासनहीनता के बदले दी गई सजा थी। जिस एसआई की वजह से उसे सजा हुई, उसने सबसे पहले उसे ही गोली मारी। इसके बाद उसने एक-एक कर चार अधिकारियों और जवान जिनसे वह नाराज था उन्हें गोली बार दी। संतकुमार के इस हत्याकांड का खुलासा सीआरपीएफ की प्रांरभिक जांच में हुआ है। अब उस पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी, पुलिस हत्या के मामले में अलग से कार्रवाई कर रही है।
बाहर आने जाने की छूट वाले कैंप से जंगल वाले कैंप में भेजा तो खेला खूनी खेल
- 9 दिसबंर की शाम 5 बजे के करीब सीआरपीएफ कैंप में एके-47 से 90 से ज्यादा गोलियां चलाने और चार जवानों की हत्या के बाद सीआरपीएफ की जांच टीम ने प्रारंभिक रिपोर्ट बना ली है।
- इसमें हत्याकांड और तरीकों का खुलासा किया गया है। सीआरपीएफ की पहली जांच रिपोर्ट सबसे पहले भास्कर अपने पाठकों को बता रहा है।
- जांच में पता चला कि संतकुमार शराब का आदी हो चुका था। वह शराब पीने कैंप से रोज बाहर जाता था। इस दौरान वह गांव में कई ऐसे काम भी करता था जो अनुशासन और सामजिक रूप से भी खराब माने जाते थे।
- एक जवान हर राेज बाहर जाए तो कैंप के सभी जवानों को खतरा था। ऐसे में इसकी शिकायत सीआरपीएफ के सब इंस्पेक्टर विक्की शर्मा ने बड़े अफसरों से कर दी।
- शिकायत के बाद संतकुमार को 168 वीं बटालियन के दूसरे कैंप जो गांव से दूर और काफी बड़ा था, में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद उसने वहां कुछ दिन काटे और वापस पुराने कैंप में आ गया। इस बीच उसके मन में बदले की आग सुलग रही थी। उसने सबसे पहले विक्की शर्मा की हत्या करने की योजना बनाई।
- जब उसने विक्की को मारा तो उसे एक-एक कर अन्य लोग भी नजर आए जिन पर उसे शिकायत और चुगली करने का शक था या अफसरों का खास होने का शक था। उन्हें भी मारने के बाद उसने मंदिर के पास सरेंडर कर दिया।
जांच पूरी, नाराजगी में ले ली जान-आईजी
सीआरपीएफ के आईजी संजय अरोरा ने बताया कि मामले में जांच पूरी कर ली गई है। इस मामले में जांच में काफी कुछ खुलासा हो गया है। अब विभागीय कार्रवाई डीआईजी बीजापुर करेंगे।
आदिवासियों को मारने के मामले की जांच नहीं
इधर घटना के बाद संतकुमार ने मीडियाकर्मियों को दिए अपने बयान में दावा किया था कि वह निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर मारने वाली साजिशों का खुलासा करने वाला था, इसलिए उसे फंसा दिया गया। आदिवासियों को मारने वाले बयान के संबंध में सीआरपीएफ या पुलिस ने कोई जांच नहीं करवाई है।
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