भोपाल। विदिशा जिले का गांव नादिया। गांव की आबादी करीब डेढ़ हजार है। यहां के सरपंच हैं मुश्ताक खान। उनके करीब डेढ़ साल के बच्चे को टीका लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी व प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरी ताकत लगा दी पर वे बच्चे को टीका लगवाने को तैयार नहीं थे।
पिछले हफ्ते सीएमएचओ डॉ. बीएल आर्या ने इसकी शिकायत कलेक्टर अनिल सुचारी से की। कलेक्टर ने नटेरन के एसडीएम मसूद खान को मौके पर जाकर टीकाकरण कराने के लिए कहा। सरपंच को जब यह बात पता चली तो उन्होंने बुधवार को बच्चे को टीका लगवाया।
विदिशा जिले में संपूर्ण टीकाकरण 50 फीसदी से कम है। अगले साल तक इसे 90 फीसदी तक करने के लिए विशेष टीकाकरण अभियान 'मिशन इंद्रधनुष" विदिशा समेत 14 जिलों में चल रहा है। इसी अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम करीब डेढ़ साल से सरपंच मुश्ताक खान के घर जा रही है।
सीएमएचओ ने बताया पहले बीएमओ को भेजा। फिर वे खुद सरपंच को समझाने गए, लेकिन उन्होंने गेट ही नहीं खोला। बाहर से बोल दिया कि उनके यहां छोटे बच्चे नहीं हैं। डॉ. आर्या ने बताया कि डेढ़ हजार की आबादी वाले गांव में कई बच्चे हैं, जिनका टीकाकरण नहीं हो पाया।
सरपंच खुद टीकाकरण के लिए आगे आते तो दूसरे बच्चों के माता-पिता को भी प्रेरणा मिलती। सीएमएचओ के मुताबिक मुश्ताक को यह भ्रम है कि टीका लगने से बच्चों को कोई दिक्कत हो सकती है, इसलिए वे बच्चे को सामने नहीं ला रहे थे।
इधर, ऐसी पंचायतें भी
राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला ने बताया कि मिशन इंद्रधनुष वाले 14 जिलों में 90 फीसदी तक संपूर्ण टीकाकरण करने वाले ग्राम पंचायतों को दो लाख रुपए पुरस्कार की घोषणा सरकार ने की है। उन्होंने बताया हाल ही में शहडोल में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने ऐसी पंचायतों का शुरुआती आकलन किया है। इसमें करीब 60 फीसदी पंचायतें पुरस्कार के योग्य मिल रही हैं।
इसलिए नहीं लगवाते टीका
-30 फीसदी- जागरूकता की कमी
14 फीसदी-टीका से नुकसान
15 फीसदी- घुमक्कड़ होने के चलते
5 फीसदी - किसी कारण टीकाकरण केन्द्र तक नहीं पहुंचे
26 फीसदी- अन्य कारण
- काम की तलाश में दूसरे राज्यों में चले जाते हैं।
स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
एनएफएचएस 4 की रिपोर्ट में सिर्फ 53 फीसदी बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2016) की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में संपूर्ण टीकाकरण (0-2 साल के बीच के सभी टीके )महज 53 फीसदी है। शहरी क्षेत्र का 63 फीसदी व ग्रामीण क्षेत्र का 50 फीसदी है। उधर, स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि मौजूदा स्थिति में 78 फीसदी बच्चों को सभी टीके लग रहे हैं। बता दें संपूर्ण टीकाकरण नहीं होने की वजह से बच्चे, मीजेल्स, डिप्थीरिया व अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। आईडीएसपी भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में 90 बच्चों में मीजेल्स के लक्षण मिले। जांच में 9 पॉजिटिव मिले हैं।
इन बीमारियों से बचाव
टीका बचाव
बीसीजी दिमाग की टीबी
हेपेटाइिटस बी पीलिया से बचाव
पोलियो दिव्यांगता से बचाव
पेंटावैलेंट हेपेटाइटिस बी, हिब, डिप्थीरिया, काली खांसी और टिटनेस
मीजेल्स खसरा से बचाव
रोटा वायरस दस्त से बचाव
इनका कहना है
मेरे कर्मचारी काफी दिन से सरपंच के यहां जा रहे थे, पर उन्होंने टीका लगवाने से मना कर दिया। मैं खुद गया तो उनके घर वालों ने बोल दिया कि हमारे यहां कोई बच्चा नहीं है। इसके बाद मैने एसडीएम व कलेक्टर इसकी जानकारी दी। काफी समझाइश के बाद उन्होंने बच्चे को टीका लगवाया है।
डॉ. बीएल आर्य सीएमएचओ,
मुझे स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण पर भरोसा नहीं है। गांव के दूसरे बच्चों को तो बुखार आता है, मेरा बच्चा तो टीका लगने के बाद बेहोश हो गया था। इनके कहने पर फिर मैने टीका लगवा लिया है, लेकिन कुछ हुआ तो अब नहीं लगवाएंगे।
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