Saturday, 24th May 2025

आधुनिकता के युग में भी अपनी परंपराओं में जीते बैगा

Sat, Dec 16, 2017 7:34 PM

बालाघाट। बैगा आदिवासी दुर्गम जंगलों में निवास करने वाली एक विशेष जनजाति है और इस बैगा जनजाति के विकास के लिए अलग से विभाग बनाकर राज्य सरकार व केन्द्र सरकार करोड़ों का बजट देकर इन बैगाओं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर रही हैं।

लेकिन पहुंचविहीन दुर्गम रास्ते व नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहे बालाघाट के इन बैगाओं तक शासन-प्रशासन का अमला सालों बाद भी पहुंच ही नहीं पा रहा है। इसके चलते ये बैगा आधुनिकता के इस युग में भी वर्षों पुरानी रुढ़िवादी पंरपराओं के बीच अपना जीवन गुजार रहे हैं।

आठवीं तक बमुश्किल पहुंच पाती हैं बैगा बालिकाएं

मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर वनग्राम अडोरी पंचायत का बैगा बाहुल्य बोर्न्दारा गांव है। इस गांव में 88 मकान बैगाओं के हैं। यहां आज भी बैगा समाज के लोग अपने बच्चों की शादी उनके बड़े होने से पहले ही कर देते हैं।

खास बात यह है कि यहां की बालिकाएं महज बमुश्किल आठवीं तक पहुंच पाती हैं और इनकी शादी कर दी जाती है। पिछले वर्ष अप्रैल माह में शादी के सीजन में तीन बाल विवाह हुए हैं। बता दें कि इस गांव में बहुत से ऐसे जोड़े हैं जो बिना शादी के ही एक साथ रहने लगते हैं।

चेहरे पर मासूमयित पर कंधों पर बच्चों का बोझ

बैगा गांव बोर्न्दारा में महज 13 से 14 साल की उम्र में ही सूरजन बाई व दशवंताबाई अपने कंधों में बच्चों को दुपट्टे से बांधकर अपनी दिनचर्या के काम करती हैं। दशवंता पंद्रे की शादी को तीन साल हो गए हैं और इसकी गोद में एक करीब 5 माह का बच्चा है।

कुछ ऐसी ही स्थिति सूरजनबाई समेत गांव की अन्य बालिकाओं की है जो पढ़ने लिखने व खेलकूद की उम्र में ही मां बनने का बोझ उठा रही हैं। बोर्न्दारा गांव के सुखराम धुर्वे व कुंवरसिंह बैगा से जब इस छोटी उम्र में ही शादी किए जाने की बात नईदुनिया की टीम ने पूछी तो उन्होंने बताया कि ये उन लोगों की गलती है लेकिन क्या करें बैगा इसी तरह का जीवन गुजारते हैं।

ये है बोर्न्दारा गांव की स्थिति 

 

-जनसंख्या 425

-मतदाता 219

-मकान 88

-बीपीएल परिवार 80

-पेंशनधारी वृद्ध 23 (लेकिन आषाढ़ माह से पेंशन नहीं मिली)

-रोजगार का साधन एक मात्र बांस कटाई जो विगत दो साल से बंद पड़ा है।

-शिक्षा के नाम पर प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल एक साथ लगता है। लेकिन महज एक ही शिक्षक है।

-खंभे और मीटर तो लगे हैं लेकिन बिजली आज तक नहीं पहुंची।

-बोर्न्दारा गांव में 0 से 6 माह के 13 बच्चे हैं।

-01 से 03 वर्ष के 34

-03 से 06 वर्ष के 29

-इनमें से 15 कुपोषित और करीब चार बच्चे अतिकुपोषित है।

इनका कहना

बैगा बाहुल्य गांवों के बैगा रहवासी अपनी ही पंरपराओं में जीवन गुजारना पंसद करते हैं। हालांकि इन्हें लगातार समझाया जा रहा है कि छोटी उम्र में ही बच्चों की शादी न करें, इसका थोड़ा बहुत असर भी इन पर हो रहा है।

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