भोपाल। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने बढ़ी हुई पेंशन के मुद्दे पर स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल 1 सितंबर 2014 के बाद रिटायर होने वालों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 को लेकर लंबे समय से पेंशनर्स का संघर्ष चल रहा है। मप्र में इस श्रेणी के अंशदाताओं की संख्या 30 हजार से ज्यादा बताई जा रही है। इसके विपरीत निवृत्त कर्मचारी 1995 समन्वय समिति का दावा है कि सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है।
ईपीएफओ के सामने 'एग्जम्पटेड" संवर्ग अर्थात भेल, ओएनजीसी जैसे केन्द्र सरकार के उपक्रमों एवं 1 सितंबर 2014 के बाद रिटायर होने वाले अंशदाताओं को बढ़ी हुई पेंशन देने का मामला विचाराधीन है। मप्र में इन दोनों वर्ग के सदस्यों की संख्या 50 हजार से ज्यादा है। इस मुद्दे को लेकर निवृत्त कर्मचारियों की समन्वय समिति ने 21 फरवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान पर महारैली बुलाई है, जिसमें मप्र से 50 हजार सदस्यों के शामिल होने का दावा किया गया है।
फिलहाल केन्द्र की मनाही : कमिश्नर
ईपीएफओ भोपाल के क्षेत्रीय कमिश्नर संजय केसरी ने इस मामले में स्पष्ट किया है कि हाल ही में श्रम मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी हुई है। इसमें बढ़ी हुई पेंशन योजना के लाभ का प्रावधान 1 सितंबर 2014 या उसके बाद सेवा में बने रहे कर्मचारियों के लिए उपलब्ध नहीं है। ऐसे कर्मचारी जो इस अवधि के बाद सेवा में थे, लेकिन उनके लिए वेतनसीमा के ऊपर नियोक्ता अंशदान को पेंशन निधि में भुगतान करने की अनुमति नहीं है। जो सदस्य पेंशन खाते में बढ़ी हुई राशि अंशदान के रूप में जमा करा रहे थे, उन्हें 1 सितंबर 2014 के बाद छह महीने के भीतर नियोक्ता के साथ संयुक्त आवेदन कर सहमति जतानी थी। साथ ही 1.16 फीसदी अतिरिक्त अंशदान पेंशन खाते में जमा कराना था।
समिति का दावा- सहमति बनी
कमिश्नर ने बताया कि इस श्रेणी का भोपाल में एक भी सदस्य नहीं है जिसने पेंशन खाते में ज्यादा पैसा जमा कराया हो। इसके विपरीत निवृत्त कर्मचारी 1995 समन्वय समिति के उप महासचिव चंद्रशेखर परसाई का दावा है कि केन्द्रीय श्रम मंत्रालय ने बढ़ी हुई पेंशन देने के लिए सैद्धांतिक सहमति दे दी है। ऐसे लोगों को दावे के लिए 31 मई 2019 तक का समय दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका गजट नोटिफिकेशन होना बाकी है।
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