बीजापुर। बासागुड़ा में सीआरपीएफ 168वीं बटालियन के कैंप में शनिवार की शाम हुए रंजिश के बाद खूनी खेल में नया मोड़ आया है। आरोपी जवान संतकुमार का कहना है कि गोली किसी और हथियार से चली है। उसके पास जो हथियार है उसकी उससे गोली नहीं चली है। संतकुमार का कहना है कि वो घटना के बाद तुरंत अधिकारी मौके पर पहुंचे और बिना कुछ पूछे थाने में बंद कर दिया गया। रविवार को संत कुमार ने ज्यूडिशियल रिमांड में जेल जाने से पहले भास्कर से पूरे घटनाक्रम को साझा किया। जानिए पूरी घटना...
रिपोर्टर : ये किस समय की घटना है?
जवान : ये लगभग पांच-पौने पांच बजे की घटना है। चार बजे ड्यूटी से उतरा था फिर फ्रेश होकर बिस्तर पर गया तो आवाज शुरू हो गई थी।
रिपोर्टर: आपका कहना है आपने जवानों को नहीं मारा?
जवान : कुछ भी, कोई हरकत नहीं किया हूं।
रिपोर्टर: तो इन्होंने आपको क्यों पकड़ा?
जवान : दुश्मनी अपनी खुद की निभाना चाहते हैं,इनके बारे में मै खूब अच्छी तरीके से जानता हूं जो यहां पर चार सौ बीसी...यहां पर अन्य घटनाएं भी कर रखे हैं.. जो मै उन चीजों के बारे में जानता हूं,.....जैसे मूवमेंट होते ही उसको मार देना फिर लाकर के उस पर हत्या लगाकर नक्सली बता देना, इन चीजों में मैं... हूं मैं मीडिया को बताऊंगा ही,तिम्मापुर के किसान के लड़कों को मार दिया वो भी मै बताऊंगा ही।
इसके बाद पुलिस वाले जवान को लेकर चले गए।
- पुलिस अभिरक्षा में जवान संतकुमार ने जो आरोप लगाए है उसे भास्कर शब्दश: प्रकाशित कर रहा है। भास्कर के पास जवान के बयान का वीडियो भी है।
आदिवासियों को नक्सली बता मारा जा रहा है
- पहले लोगों को पकड़ लाया जाता है फिर उन्हें मार दिया जाता हैं। हाल ही में तिम्मापुर के किसान के बेटे को भी नक्सली बताकर मार दिया गया था। इन आरोपों के बाद अब यह पूरा मामला पेचीदा हो गया है। पुलिस अभिरक्षा में जवान ने जो बयान दिया है वैसे ही आरोप इलाके के आदिवासी और अन्य लोग लगाते रहे हैं।
- - इस इलाके में पहले भी सुरक्षा बलों के जवानों पर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं। यहां आदिवासी युवतियों के साथ जवानों द्वारा बलात्कार के मामले की जांच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग भी कर रहा है।
पुरानी रंजिश थी
- कलेक्टर अय्याज तंबोली के मुताबिक, मृतक और जख्मी और गोली चलाने वाले जवान के बीच पुरानी रंजिश थी, लेकिन यह तय है कि छुट्टी को लेकर कोई विवाद नहीं था। पुलिस मामले की जांच कर रही है, CRPF भी अलग से जांच करेगी, जिसके बाद सही जानकारी सामने आ सकेगी।
फायरिंग में इनकी हुई मौत
- - एसआई वीके शर्मा(जम्मू-कश्मीर)
- एसआई मेघसिंह (अहमदाबाद, गुजरात)
- एएसआई राजवीर(झूंझुनू, राजस्थान)
- कांस्टेबल जीएसराव (विजयनगरम, आंध्रप्रदेश)
बढ़ रहा है जवानों में असंतोष
- वर्ष 2017 में करीब 36 जवानों ने आत्महत्या की। इसके अलावा चार जवानों को उनके साथी ने ही मौत के घाट उतार दिया।
- वर्ष 2017 में आत्महत्या के यह आंकड़े पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा हैं। पिछले एक दशक में पूरे इलाके में करीब 115 जवानों ने आत्महत्या कर ली है।
ये सब होना था
- बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ के 11 नक्सल प्रभावित जिलों में जवानों के आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए एक एसपी रैंक के अफसर को नियुक्त करने की योजना बनी थी।
- इसके अलावा जवानों की मनोदशा जानने और उनकी स्थिति को समझने के लिए मनोवैज्ञानिकों की नियुक्ति की बात भी अफसरों ने कही थी।
- हाल ही में नक्सल ऑपरेशन के स्पेशल डीजी डीएम अवस्थी ने भी अपने एक बयान में इस व्यवस्था का जिक्र करते हुए हिमायत की थी, लेकिन जवानों लिए ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया है।
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