भोपाल/बैतूल। घोड़ाडोंगरी (बैतूल) के पास गोलाईखुर्द गांव से 15 साल की आदिवासी लड़की का अपहरण कर दो लोग दिल्ली ले गए, लेकिन लड़की ने बहादुरी दिखाई और दिल्ली स्टेशन पर अपहर्ताओं के चंगुल से भाग निकली। दिल्ली में बैतूल जाने वाली ट्रेन संपर्क क्रांति एक्स. में बैठ गई, जहां उसके मददगार बने दिल्ली में पदस्थ और होशंगाबाद के रहने वाले बैंक अधिकारी संजीवन निखर। संजीवन ने 'नवदुनिया को घटना की जानकारी दी। 'नवदुनिया ने न केवल लड़की के गांव उसके मातापित तक ये खबर पुहंचाई, बल्कि घर तक पहुंचाने में भी मदद की। 15 साल की किशोरी नौंवीं कक्षा में पढ़ती है।
नाबालिग ने बताया कि माता-पिता सुबह 6 बजे मजदूरी करने चले गए तो मैं सहेलियों के साथ खेलने चली गई। घर लौट रही थी, तब रास्ते में दो लोगों ने मुंह पर कपड़ा बांधकर बोरी में बंद कर दिया। इसके बाद एक ट्रेन में सीट के नीचे डाल दिया। मैं बेहोश हो गई थी।
आंख खुली तो दिल्ली में थी
लड़की ने बताया कि जब आंख खुली तो मैं बोरी में बंद थी। ट्रेन चल रही थी। कुछ लड़कियों के रोने की आवाज आई। मेरी बोरी थोड़ी फटी थी। मैंने आलपिन से उसे और फाड़ा। बाहर आई तो सब सो रहे थे और ट्रेन रुकी थी। पता चला कि दिल्ली स्टेशन है। फिर मैंने बैतूल जाने वाली ट्रेन का पता कर जल्दी से उस ट्रेन में चढ़ गई।
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