ग्वालियर। व्हीकल ड्रायविंग लाइसेंस के लिए होने वाली टेस्ट ड्रायविंग निजी हाथों में जाने वाली है। पब्लिक पार्टनरशिप के तहत प्रदेश के हर जिले में ऑटोमेटिक ड्रायविंग ट्रैक तैयार किए जाएंगे। इस ट्रैक पर गाड़ी चलाने के बाद ही सर्टिफिकेट मिलेगा। इसके बाद लायसेंस जारी करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर होंगे। इस व्यवस्था में लाइसेंस के लिए टेस्ट देना अनिवार्य होगा।
वर्तमान में इंदौर में स्मार्ट चिप कंपनी ने ऑटोमेटिक ड्रायविंग ट्रैक बनाया है। अब परिवहन विभाग ने पब्लिक पार्टनरशिप योजना के तहत प्रदेश के हर जिले में यह ट्रैक बनवाने का फैसला लिया है। ट्रैक बनाने से लेकर सर्टिफिकेट जारी करने तक का काम उसी को करना होगा।
इसके अलावा एक नया पद भी सृजित किया गया है। इसमें परिवहन सलाहकार को पदस्थ किया जाएगा। विभाग ने टेंडर निकालने की तैयारी शुरू कर दी है। कंपनी के प्रतिनिधि के साथ विभाग का कर्मचारी भी तैनात होगा।
आठ के आकार में बनाया जाएगा ट्रैक
- ट्रैक को आठ के आकार में बनाया जाएगा, जिस पर सेंसर लगे होंगे। लर्निंग लायसेंस लेने से पहले उसे परिवहन विभाग के प्रश्नों का उत्तर देना होगा। अगर उत्तर देने में गलती होती तो नंबर कट जाएंगे और लायसेंस जारी नहीं होगा।
- नियमित लायसेंस लेने के लिए ट्रैक पर गाड़ी चलानी होगी। गाड़ी आगे बढ़ाने के लिए कहा जाएगा तो उसे आगे बढ़ानी होगी। राइट व लेफ्ट टर्न लेना होगा। गाड़ी बैक करके भी दिखानी होगी। ट्रैक पर लगे सेंसर से गाड़ी टकराती है तो उसे लायसेंस के लिए सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा। वह टेस्ट पास कर लेता है तो उसे सर्टिफिकेट मिलेगा। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर आरटीओ लायसेंस जारी कर सकेंगे।
- टेस्ट ड्रायविंग से पहले बायोमेट्रिक मशीन पर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। ड्रायविंग टेस्ट सीसीटीवी कैमरे में कैद होगा। आवेदनकर्ता जिस श्रेणी का लायसेंस ले रहा है, उसकी गाड़ी लानी होगी।
न गाड़ी, न टेस्ट, हर महीने 3 हजार लायसेंस बन जाते हैं
क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय ग्वालियर हर महीने करीब 3 हजार ड्रायविंग लाइसेंस जारी करता है। प्रतिदिन 100 से 110 लाइसेंस जारी होते हैं। अधिकांश लोग न गाड़ी लेकर आते हैं और ड्रायविंग टेस्ट देते हैं फिर भी उन्हें लायसेंस जारी हो जाता है।
- गलत लायसेंस जारी होने से सड़क दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं। परिवहन विभाग इस पर रोक लगाने नई व्यवस्था लागू कर रहा है।
- टू व्हीलर, फोर व्हीलर के लर्निंग व नियमित लायसेंस की फीस 1300 रुपए है। दलाल लर्निंग व नियमित लायसेंस बनवाने के 3 हजार रुपए तक लेते हैं।
- राजस्थान ने पब्लिक पार्टनरशिप के तहत ट्रैक तैयार किए हैं। एक टेस्ट के आवेदनकर्ता को 130 रुपए अतिरिक्त देने पड़ते हैं।
इनका कहना है
शासन के पास फंड नहीं है। इसलिए पब्लिक पार्टनर शिप के तहत ट्रैक तैयार करने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई है। टेंडर फाइनल होने के बाद ही टेस्ट का शुल्क तय होगा।
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