भोपाल। मध्यप्रदेश के गांव-कस्बों में घर-घर जाकर 'अंधेरा' ढूंढ रहा डाक विभाग डेढ़ महीने बाद भी अपना अभियान पूरा नहीं कर पाया। अब इसमें समय बढ़ाने की बात की जा रही है। प्रदेश के 51 हजार 929 गांवों में घूम-घूम कर ऐसे घरों को चिन्हित किया जाना है, जहां बिजली नहीं पहुंची। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने डाक विभाग को एक महीने में काम पूरा करने की जवाबदारी सौंपी थी। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 47 लाख घरों में आज भी अंधेरा कायम है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि गांवों में बिजलीविहीन घरों को ढूंढने का काम अभी बमुश्किल 20 फीसदी ही हो पाया है। डाक कर्मियों को डाटा एंट्री करने में ज्यादा समय लग रहा है। एक पोस्टमैन अथवा अन्य कर्मचारी को करीब 8-9 गांवों के घरों में ऐसे घरों को ढूंढने की जवाबदारी दी गई है। यह जानकारी उन्हें स्मार्टफोन के जरिए इस काम के लिए बनाए गए एप पर दर्ज करनी है। डाटा एंट्री में उन्हें समय ज्यादा लग रहा है।
गुजर गया नवंबर
डाक विभाग के साथ हुए करार में प्रदेश के 51 हजार 929 गांवों का सर्वेक्षण किया जाना है। विभाग ने अपने 15 हजार से अधिक पोस्टमैन और अन्य डाक कर्मियों को इस काम में तैनात किया है। नवंबर के अंत तक काम पूरा करने का लक्ष्य था। इसके पीछे वजह यह थी कि केन्द्र सरकार ने तय किया है कि देशभर में चि-त किए गए अंधेरे घरों में 'सौभाग्य" योजना के तहत 31 दिसंबर 2019 तक बिजली की रोशनी पहुंचा दी जाए।
अन्य राज्यों में शुरू होगी मुहिम
मध्यप्रदेश के बाद यह मुहिम छत्तीसगढ़, ओडिशा और अन्य राज्यों में भी शुरू की जानी है। केन्द्रीय जनगणना विभाग ने इस संबंध में सभी राज्यों का ब्योरा केन्द्रीय ऊर्जा विभाग को सौंपा है। डाक विभाग के कर्मचारियों को इसके लिए स्मार्ट फोन भी दिया गया है, जिसमें उन्हें एप के जरिए बिजलीविहीन घरों का डाटा दर्ज करना है।
इस ब्योरे में यह जानकारी दी जाएगी कि गांव में किस-किस व्यक्ति के घर में बिजली नहीं है। उनका नाम, पता और घर के सदस्यों की संख्या भी दर्ज की जाएगी। संबंधित व्यक्ति का घर बिजली के खंभे-ट्रांसफार्मर से कितनी दूरी पर है।
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