भोपाल। पीएमटी-2012 घोटाले मामले में अदालत ने चिरायु अस्पताल के तीन डॉक्टरों की अग्रिम जमानत खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश डीपी मिश्रा की अदालत में शुक्रवार को चिरायु अस्पताल एडमिशन कमेटी के डॉ. अशोक कुमार जैन, डॉ. विनोद नारखड़े और हर्ष सालनकर की ओर से तर्क दिया गया कि उन्होंने सीबीआई जांच में पूरा सहयोग किया है, इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। उनके द्वारा ऐसा कोई अपराध ही नहीं किया गया, बल्कि उन्हें झूठा फंसाया गया है।
सीबीआई के वकील सतीश दिनकर ने जमानत अर्जी पर कड़ी आपत्ति करते हुए कहा कि आरोपियों ने एडमिशन कमेटी में रहते चिरायु मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन और डीन के साथ मिलकर डीएमई को सरकारी कोटे में कम सीटें खाली होना बताया था, जबकि कॉलेज में सरकारी कोटे की अधिक सीटें खाली थीं। बाद में मोटी रकम लेकर अयोग्य छात्रों को प्रवेश दिया गया, जिससे योग्य छात्रों को प्रवेश से वंचित होना पड़ा।
इसके बाद अदालत ने आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। जबलपुर मेडिकल कॉलेज के चितेन्द्र सिंह कुशवाह को एक लाख स्र्पए के व्यक्तिगत मुचलके और इतनी ही राशि की सक्षम जमानत पर छोड़ने के आदेश दिए। ग्वालियर निवासी आरोपी ने पीएमटी-2012 में इंजन की भूमिका निभाई थी, जिसे सीबीआई ने गुस्र्वार को जबलपुर से गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था।
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