भोपाल। एक जनवरी 2016 से अब तक मध्यप्रदेश पुलिस के 29 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने आत्महत्या की है। 109 की हार्टअटैक से मौत हुई है। काम की अधिकता और पुलिसकर्मियों की कमी की वजह से अवसाद भी बढ़ रहा है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने सदन में यह जानकारी दी। विधायक यशपाल सिसौदिया के सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि एक जनवरी 2013 से 2016 तक के आंकड़ों के अनुसार पुलिसकर्मियों में हर साल आत्महत्या करने की प्रवृत्ति 30 फीसदी और हार्टअटैक 81 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
गृहमंत्री ने बताया कि इस परेशानी से निपटने के लिए पांच सालों में कई स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया है। स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत इंदौर-उज्जैन के 643 अधिकारियों और कर्मचारियों को लाभ दिया गया है। वहीं पूरे प्रदेश में गंभीर बीमारियों से पीड़ित 3047 पुलिसकर्मियों को इलाज सुविधा दी गई है। नियमित योगाभ्यास भी करवाया जा रहा है।
पहले माना अवसाद, फिर जवाब से शब्द हटाया
सरकार ने जवाब में पहले तो मान लिया कि पुलिसकर्मी अवसाद में हैं, लेकिन बाद में विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया को एक संशोधन पत्र जारी किया गया। जिसमें यह लिखा है कि यह कहना सही नहीं है कि बल की कमी और काम की अधिकता की वजह से अवसाद है।
यह सुविधाएं मिल रहीं अभी पुलिसकर्मियों को
- 2010 के बाद से 45 हजार 535 पदों पर भर्ती, रैंकों में सुधार।
- 16 दिवस का आकस्मिक, 15 दिन विशेष, 30 दिन अर्जित, 10 दिन लघु अवकाश ।
- निरीक्षक से आरक्षक तक को सप्ताह में एक दिन का अवकाश।
- 15 दिन पितृत्व और महिलाकर्मियों को 730 दिन का मातृत्व अवकाश।
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