Friday, 23rd May 2025

अफवाह के बाद हॉलमार्क का लाइसेंस लेने के लिए लगीं कतार

Thu, Nov 30, 2017 7:20 PM

भोपाल। भारतीय मानक ब्यूरो में यह पहला मौका है जब स्वर्ण आभूषण बेचने के लिए हॉलमार्क लाइसेंस लेने वाले बड़ी संख्या में पहुंचने लगे हैं। पहले इस संबंध में कोई पूछताछ करने भी नहीं आता था। अब एक अफवाह के चलते प्रदेश भर से इस संबंध में पूछताछ बढ़ गई है। सराफा कारोबारी लाइसेंस लेने भी आ रहे हैं।

भारतीय मानक ब्यूरो के सूत्रों का कहना है कि पिछले महीने यह अफवाह उड़ गई थी कि बिना हॉलमार्क लाइसेंस के सोने के जेवर बेच नहीं पाएंगे। इसके बाद पूरे प्रदेश से इस बारे में कारोबारियों की पूछताछ तेज हो गई। रोज कई लोग कार्यालय भी पहुंच रहे हंै। लाइसेंस बनवाने के लिए हर दिन दो-तीन व्यापारियों के आवेदन भी जमा होने लगे हैं।

अफवाह ही थी

मानक ब्यूरो की मध्यप्रदेश प्रमुख प्रीति भटनागर ने बताया कि यह महज अफवाह ही थी कि बिना लाइसेंस के जेवर नहीं बेच पाएंगे। मंत्रालय ने इस तरह का कोई निर्णय नहीं किया है, लेकिन अफवाह के चलते हॉलमार्क की पूछताछ एकाएक बढ़ गई है।

उन्होंने बताया कि हालत यह है कि कई बार महीनों निकल जाने के बाद एक-दो लोग ही हॉलमार्क लाइसेंस लेने के बारे में पूछताछ करते थे। अब ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई है, कार्यालय में आवेदन भी जमा होने लगे हैं। डेढ़-महीने तक प्रदेश में स्वर्ण आभूषणों के लिए हॉलमार्क लाइसेंस लेने वालों की संख्या करीब 300 थी, लेकिन अब एकाएक यह संख्या 400 के ऊपर चली गई है। चांदी के जेवरों के लिए 40 लोगों ने लाइसेंस लिए हैं।

उन्होंने बताया कि भोपाल-इंदौर जैसे शहरों के लिए हॉलमार्क लाइसेंस की फीस तीन साल के लिए 50 हजार रुपए है, लेकिन छोटे शहरों और कस्बों के लिए यह राशि काफी कम है।

24 कैरेट केवल रिफायनरीज को

 

मानक ब्यूरो प्रमुख ने बताया कि अभी हॉलमार्क के तहत 14, 18 और 22 कैरेट शुद्धता के आभूषण बिक्री की पात्रता दी गई है। पिछले साल तक 20, 22 एवं 24 कैरेट के जेवर भी बेचने का प्रावधान था। अब 24 कैरेट शुद्धता का सोना बेचने का लाइसेंस सिर्फ रिफायनरीज को ही देते हैं।

इस संबंध में राज्य के व्यापारियों की मांग आ रही है कि 14, 18, 22 कैरेट की श्रेणी के साथ 20 कैरेट शुद्धता की श्रेणी भी बनाई जाए। इस संबंध में मंत्रालय की मेटलरजी कमेटी (तकनीकी) ही निर्णय करती है। उनके पास भोपाल में जो भी आवेदन आते हैं, उन्हें वे दिल्ली मुख्यालय को भेज देती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग के ईमेल (www.bpbo@bis.gov.in) पर भी अपने सुझाव अथवा आवेदन भेजे जा सकते हैं।

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