सूरत. इस बार का गुजरात चुनाव सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और 22 सालों से राजनीतिक वनवास काट रही कांग्रेस के लिए बड़ा अहम माना जा रहा है। दोनों पार्टियां चुनाव जीतने के लिए पूरा दमखम लगा रही हैं। खासतौर पर गुजरात की रिजर्व सीटों पर दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों का दावा मजबूत दिख रहा है। गुजरात में करीब 15% आबादी आदिवासियों की है। इनके लिए 26 सीटें रिजर्व हैं। इन पर किसी भी पार्टी का एकतरफा दबदबा नहीं है। इसके अलावा ओवरआल 35 से 40 सीटों पर आदिवासी वोटर असरदार हैं।
2012 में कांग्रेस ने बेहतर परफॉर्म किया था
- कभी कांग्रेस का बेस वोटर रहे अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वोटर पिछले 27 सालों में बिखर सा गया है। यही वजह है कि बीजेपी पहले के मुकाबले इन सीटों पर ज्यादा मजबूत दिखती है।
- हालांकि, 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतर परफॉर्म किया था, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर से मजबूती से वापसी करते हुए राज्य की तीनों आदिवासी सीटों पर कब्जा कर लिया।
- यही वजह है कि कांग्रेस इस बार अपने बेस वोटरों फिर जोड़ने की कोशिश कर रही है। उसने आदिवासी नेता छोटू वसावा की पार्टी से चार सीटों (अंकलेश्वर, झगड़िया, डेडियापाड़ा व मांगरोल) पर गठजोड़ किया है।
- इसके अलावा ओबीसी और एससी वोटरों को जोड़ने के लिए दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर से हाथ मिलाया है। वहीं आदिवासी बहुल जिला वलसाड में किसानों के नाम पर जनसभा कर आदिवासियों को जोड़ने की कोशिश की है।
1990 में जनता दल तो 2012 में कांग्रेस अव्वल
- आदिवासी बहुल सीटों की बात करें तो 1990 में रिजर्व 26 सीटों में सबसे ज्यादा 11 सीटें जनता दल के पास थीं। बीजेपी ने 6, कांग्रेस ने 7 और निर्दलीयों ने दो सीटें जीतीं।
- राम मंदिर आंदोलन के बाद 1995 के चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा 14 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस के खाते में 8 सीट आईं। झगड़िया की सीट छोटूभाई वसावा ने जीती।
- इसके बाद 2012 में कांग्रेस ने 15 सीटों पर कब्जा किया, जबकि बीजेपी के पास 10 सीटें आईं। झगड़िया सीट एक बार फिर छोटूभाई वसावा ने जीती।
दक्षिण गुजरात में सबसे ज्यादा आदिवासी सीटें
- पूरे गुजरात में सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी साउथ गुजरात में हैं और विधानसभा की सीटें भी। 26 सीटों में 17 सीटें यहीं से आती हैं, जिनमें दोनों ही पार्टियों में ज्यादा अंतर नहीं है। 8 सीटों पर जहां कांग्रेस को जीत मिली थी तो, वहीं बीजेपी के पास 7 सीटें हैं। - झगड़िया की सीट छोटू वसावा के पास है। यहां पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी जीती।
एक साल पहले से ही एक्टिव है बीजेपी
- पिछले कुछ सालों में वलसाड, नवसारी, डांग और भरूच जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में जहां सरकार ठीक से नहीं पहुंच पाई, वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बड़ा काम किया है। संघ की मदद से केंद्र सरकार डांग में सैनिक स्कूल खोलने जा रही है।
- दिसंबर 2016 में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने वांसदा में रैली की थी। 2017 में ही बीजेपी सरकार ने आदिवासी गौरव यात्रा निकालकर पकड़ को मजबूत करने की कोशिश की।
गांव-गांव जाकर कांग्रेस मिल रही लोगों से
- दक्षिण गुजरात के आदिवासी नेता और वलसाड के कांग्रेस जिला प्रमुख किशनभाई पटेल का कहना है कि आदिवासी पिछले कुछ सालों से बीजेपी के लोकलुभावन वादे में गुमराह हो गए थे। कांग्रेस गांव-गांव जाकर आदिवासियों को बता रही है कि बीजेपी सरकार के वादों की सच्चाई क्या है।
- उन्होंने कहा, फॉरेस्ट लैंड देना हो या रोजगार की बात हो या वन बंधु योजना, हर लेवल पर बीजेपी ने आदिवासियों को छला है। आदिवासी कांग्रेस को समर्थन देंगे। एसटी सर्टिफिकेट बांटना गुनाह है।
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