भोपाल। बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में शातिर आरोपियों के साथ कई निर्दोष भी चपेट में आ गए। एसटीएफ ने बगैर कोई पुख्ता सबूत या जांच के उन्हें सिर्फ इसलिए आरोपी बना दिया, क्योंकि वे संदिग्ध परिस्थिति के घेरे में आ रहे थे। बाद में एसटीएफ उनके खिलाफ सबूत जुटा भी नहीं पाई। ऐसे ही 27 आरोपियों को सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में क्लीनचिट दे दी है।
विशेष न्यायधीश डीपी मिश्र की अदालत में पेश की गई चार्जशीट में सीबीआई ने सबूत नहीं होने, आवेदक के निर्दोष होने के पूरे प्रमाण होने, जांच से पहले ही मौत होने या ऐसे साक्ष्य जो कोर्ट में जिरह के दौरान टिक नहीं पाएंगे, के आधार पर 27 लोगों को निर्दोष बताया है।
परीक्षा में बैठे ही नहीं और बताया दिया इंजन-बोगी
एसटीएफ द्वारा दीपा देवी, रोहित कुमार, धर्मेंद्र शुक्ला, अरविंद पुरी, इरफान खान और भारत बघेल को बतौर इंजन और सतेंद्र सिंग को बोगी बताते हुए आरोपी बनाया गया था। सीबीआई को जांच में इन सातों आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले, क्योंकि ये इन लोगों ने फॉर्म तो भरे थे लेकिन वे परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए।
सारे दस्तावेज सही, फिर भी बनाया दिया आरोपी
सीबीआई की जांच में मोनिका सेठ का मामला बेहद रोचक निकला। मोनिका के मकान का पता, फोन नंबर, ईमेल आईडी और आवेदन फॉर्म सहित अन्य सभी जानकारियां सही पाई गईं। उसके नंबर भी आगे, पीछे, दाएं और बाएं में बैठे परीक्षार्थियों से भी कम हैं। इसके बाद भी एसटीएफ ने मोनिका को बोगी बताकर आरोपी बना दिया था।
दलाल बताया पर दलाली के कोई सबूत नहीं
एसटीएफ ने अमित निमावत, बालेंद्र राजपूत और सुनीता सागर को बतौर दलाल आरोपी बनाया था। सीबीआई को जांच में इन तीनों लोगों से जुड़ा कोई भी आवेदक या आरोपी नहीं मिला। कोई ऐसा साक्ष्य भी नहीं मिला जिससे यह साबित किया जा सके कि उक्त तीनों ने पीएमटी परीक्षा में दलाली की है।
सबूत ऐसे जो कोर्ट में जिरह में ढेर हो जाते
एसटीएफ ने 12 ऐसे लोगों को भी क्लीनचिट दी है, जिनके खिलाफ एसटीएफ के पास सबूत तो थे लेकिन वे इतने पुख्ता नहीं थे कि कोर्ट में जिरह के दौरान टिक पाते। इन लोगों में बदन सिंग यादव, गोपाल सिंग, नरेंद्र कौशिक, ठाकुर प्रसाद, जीवन लाल कुशराम, देवाराम, प्रकाश सिंग दापकरा, छोटेलाल जाटव, भूप सिंह सुमन, जीएस सुमन, बाबू लाल चौपड़ा, चीमा चौधरी शामिल हैं। वहीं जांच के दौरान मौत होने के कारण चंद्र सिंग, शैलेंद्र सिंग, ब्रजेश गर्ग और भारत सिंह सोलंकी को आरोपी नहीं बनाया गया।
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