भोपाल। वनकर्मी पर हमला करने के बाद बाघ और आक्रमक तो नहीं हुआ है, वन विभाग इसकी जानकारी जुटाने में लग गया है। इसके लिए जंगल के चि-ति क्षेत्रों में वनकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। ट्रैप कैमरे से बाघ पर नजर रखी जा रही है। उसके घूमने का दायरा बढ़ा है या नहीं, यह देखने के लिए जंगल में नए फुट इम्प्रेशन पैड (पैरों के निशान के लिए समतल जगह) बनाए गए हैं।
तीन दिन की मॉनिटरिंग में सामने आया है कि वनकर्मी पर हमले के बाद से उसने शिकार नहीं किया है, लेकिन पहले की तुलना में उसके घूमने का दायरा बढ़ गया है। वन विभाग के मुताबिक संभवतः ये बाघ का इंसान से पहला आमना-सामना था। बाघ टी-121 घटना के पहले 2 से3 किमी क्षेत्र में घूमता था। अब वह एक दिन में 5 से 6 किमी क्षेत्र में घूम रहा है। बता दें कि शुक्रवार बाघ ने वनकर्मी नारायण सिंह मीना पर हमला किया था।
मेंडोरा में वनकर्मी पर हमले की घटना के बाद वन विभाग ने बाघ की मॉनिटरिंग और सुरक्षा दोनों बढ़ा दी है। संबंधित बाघ के भ्रमण क्षेत्र में मवेशियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। जंगल में झाड़ियां उखाड़ने का काम बंद करा दिया गया है। आसपास के रहवासियों को मुनादी कर जंगल में प्रवेश करने से मना किया गया है। जहां पर बाघ ने वनकर्मी पर हमला किया था उस क्षेत्र में ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। इधर, घायल वनकर्मी की हालत में सुधार आया है। उसका जेपी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
इसलिए जरूरी है पता लगाना
- बाघ का पहली बार इंसान से सामना हुआ है। ऐसे में उसका व्यवहार बदल सकता है, इसकी जानकारी होना जरूरी है। हालांकि हमला वनकर्मी की भूल के चलते हुआ था, क्योंकि वह जानकारी होने के बावजूद बाघ भ्रमण क्षेत्र में पैदल गश्ती कर रहा था।
जानकारी रखना जरूरी
बाघ के व्यवहार की जानकारी रख रहे हैं। अभी तक उसके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया है। पहली बार उसका इंसान से आमना-सामना हुआ है, इसलिए उसकी अलग से मॉनिटरिंग कर रहे हैं - डॉ. एसपी तिवारी, कंजरवेटर फॉरेस्ट, भोपाल
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