नई दिल्ली। बड़ी कंपनियों के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी के हिसाब से अपने उत्पादों की कीमतें घटाना अनिवार्य है।
अगर उन्होंने जीएसटी दरों में की गई हालिया कमी का फायदा अंतिम ग्राहक तक नहीं पहुंचाया तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय वित्त सचिव हसमुख अढिया ने शनिवार को एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में शनिवार को इंडिया इंक को यह चेतावनी दी।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में वित्त सचिव ने कहा, 'सरकार ने कई वस्तुओं पर टैक्स की दर को घटा दिया है। अगर हमें कोई विसंगति मिलेगी, तो हम छोटे खुदरा विक्रेताओं के बजाय बड़ी कंपनियों को पकड़ेंगे।'
जीएसटी काउंसिल ने हाल ही में करीब 215 आइटमों पर टैक्स दर में कटौती का एलान किया था। 178 वस्तुओं पर जीएसटी दर को 28 से घटाकर 18 फीसद कर दिया गया।
कुछ पर कर दर को 18 से 12 अथवा पांच फीसद भी किया गया। इस दौरान अढिया नोटबंदी के सवाल पर भी बोले। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य व्यवस्था की सफाई करना और काले धन को बाहर निकालना था।
लोगों ने घर में बहुत सी नकदी रखी थी। नोटबंदी से यह छिपी हुई नकदी बैंकिंग प्रणाली में आ गई। घरों में छिपी नकदी का इस्तेमाल आमतौर पर केवल लक्जरी सामानों की खरीद में होता था।
इसके बैंकिंग प्रणाली में पहुंचने से बैंकों के पास लोगों को कर्ज देने के लिए ज्यादा पैसा आ गया। भारत सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी लागू की थी।
उस समय प्रचलन में चल रहे 500 और 1000 रुपये के नोटों को प्रतिबंधित कर दिया गया था। बाजार और व्यवस्था को संभालने के लिए सरकार ने बाद में 2000 रुपये का नया नोट जारी किया था।
फिर 500 रुपये के नए नोट लाए गए। रिजर्व बैंक ने कुछ माह पहले 200 रुपये और 50 रुपये के नए नोट भी जारी किए हैं।
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