सांची। बुद्ध के शिष्य सारिपुत्र और महामोग्गला की पवित्र अस्थियां तलघर के बाहर दर्शन के लिए निकाली गई। इन्हें 65 साल पहले नवंबर माह के आखिरी रविवार को श्रीलंका से सांची लाया गया था।गौतम बुद्ध के दो शिष्य सारिपुत्र और महामोदग्लायन की पवित्र अस्थियां स्तूप परिसर स्तिथ मंदिर के तलघर से वर्ष में केवल एक बार नवंबर माह के आखिरी शनिवार व रविवार के लिए ही बाहर निकाली जाती है।
अस्थियों को यहां जब पहली बार लाया गया था तब प्रधानमंत्री रहते पंडित नेहरू ने एक दिवसीय मेले की आधारशिला रखी थी। इसे वर्ष 2010 में मप्र सरकार ने तीन दिवसीय कर दिया था। बीते 4 सालों से यह 2 दिवसीय आयोजन हो गया है।
1952 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सांची आकर बुद्ध के शिष्यों के अस्थि कलशों को स्थापित करने के साथ वार्षिक मेले की शुरुआत कराई थी। अस्थि कलश नवंबर के आखिरी रविवार को ही श्रीलंका से सांची पहुंचे थे, इसलिए हर साल नवंबर के आखिरी सप्ताह में ही यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
स्तूप परिसर स्थित मंदिर में शनिवार सुबह सात बजे श्रीलंका महाबोधी सोसायटी के अध्यक्ष वानगल उपतिस्स नायक थेरो तथा उनके शिष्यों द्वारा यह पवित्र अस्थियों की पूजन की गई और इन्हें दर्शनों के लिए मंदिर में रखा गया। मेले में शामिल होने थाईलैंड, कम्बोडिया, वियतनाम, श्रीलंका, भूटान, जापान, मलेशिया सहित अन्य देशों के बौद्ध अनुयायी सांची पहुंच गए हैं।
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