श्रीनगर. कश्मीर में पहली बार पत्थरबाजी करने वालों के केस वापस लिए जाएंगे। ऑफिशियल्स के मुताबिक, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकार से ऐसे 4500 केसेस वापस लेने को कहा है। उधर, CRPF ने आतंकी संगठनों के साथ जुड़े कश्मीरी युवाओं से कहा कि अगर वे हथियार छोड़ना चाहते हैं तो 1441 डायल करें। CRPF ने इस हेल्पलाइन का नाम मददगार रखा है। पैरामिलिट्री फोर्स ने कहा कि टेररिस्ट ग्रुप से जुड़े कश्मीर युवा अगर मुख्य धारा में लौटना चाहते हैं तो वे हेल्पलाइन का नंबर डायल करें।
- घाटी में CRPF के IG ऑपरेशंस जुल्फिकार हसन ने कहा, "ये हेल्पलाइन जून में लॉन्च की गई थी। इसका मकसद मुश्किल में फंसे किसी भी कश्मीरी की मदद करना था। अब ये हेल्पलाइन उन युवाओं की मदद करेगी, जो आतंकी बन गए थे और अब अपने परिवार-दोस्तों और करीबियों के पास वापस लौटना चाहते हैं। हम उन्हें गाइड करेंगे। उन्हें नहीं पता है कि सरेंडर के लिए किस तरह से कोशिश करें। हम उन्हें समझाने और कदम उठाने में मदद करेंगे।"
कितने लोगों ने "मददगार' पर कॉल की?
- हसन ने कहा, "ये हेल्पलाइन 24X7 ओपन रहती है और इसमें ट्रेंड CRPF जवानों को लगाया गया है। जून में लॉन्चिंग के बाद हमें हेल्पलाइन "मददगार' पर 70 हजार कॉल्स आई हैं। इनमें हमसे कई तरह की मदद मांगी गई। अब इस हेल्पलाइन का रोल और ज्यादा बढ़ा दिया गया है।"
किस तरह आया इस हेल्पलाइन का आइडिया?
- हेल्पलाइन को तो जून में ही शुरू किया गया था। लेकिन, घाटी में फुटबॉलर से आतंकी बने मुजीद खान के सरेंडर के बाद CRPF के आईजी ऑपरेशंस हसन ने हेल्पलाइन को सरेंडर के लिए इस्तेमाल करने का आइडिया दिया।
फुटबॉलर मुजीद ने कब किया था सरेंडर?
- कश्मीर का युवा फुटबॉलर मुजीद खान लश्कर में शामिल हो गया था। लेकिन, 16 नवंबर को उसने आर्मी के सामने सरेंडर कर दिया था। सेना ने कहा था कि मुजीद को मुख्यधारा में शामिल करने में मदद की जाएगी।
- कश्मीर में केंद्र के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा के सुझाव पर केंद्र ने कश्मीर सरकार को पहली बार पत्थरबाजी करने वाले युवाओं के 4500 केस वापस लेने को कहा है। शर्मा से कश्मीर विजिट के दौरान कई ग्रुप्स और लोगों ने ये अपील की थी।
अब तक कितने केस दर्ज किए गए हैं?
- पिछले साल जुलाई से अब तक 11,500 से ज्यादा पत्थरबाजों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से 4500 ऐसे केस वापस लिए जाएंगे, जिनमें पहली बार पत्थरबाजी में शामिल हुए युवाओं का नाम है।
और क्या कदम उठा सकती है सरकार?
- ऑफिशियल्स के मुताबिक, पत्थरबाजी के दूसरे मामलों का भी केंद्र जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ मिलकर रिव्यू करेगा। इसके अलावा आतंकवाद छोड़ने वाले उन लोगों के पुनर्वास के लिए भी कोशिशें होंगी, जो किसी संगीन जुर्म में शामिल नहीं थे।
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