मुंबई.1895 में मुंबई के शिवकर तलपड़े ने चौपाटी पर अपना बनाया प्लेन उड़ाया था। इसके 122 साल बाद अब मुुंबई के ही कैप्टन अमोल यादव खुद बनाया हुआ एयरक्राफ्ट उड़ा सकेंगे। सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने उन्हें डीजीसीए का सर्टिफिकेट सौंपा। जेट एयरवेज में डिप्टी चीफ पायलट रहे अमोल ने घर की छत पर 19 साल मेहनत करके एयरक्राफ्ट टीएसी-003 बनाया। एयरक्राफ्ट 2011 में बन गया था। तब से अमोल सर्टिफिकेट पाने की कोशिश कर रहे थे।
- अमोल यादव ने कहा, ''मैंने सबसे पहले 1998 में, फिर 2003 में टू-सीटर एयरक्राफ्ट बनाए। दोनों का टेस्ट नाकाम रहा। लेकिन इन दोनों नाकाम कोशिशों से मैंने काफी कुछ सीख लिया। फिर थ्रस्ट एयरक्राफ्ट नाम से कंपनी बनाई और तीसरी कोशिश शुरू की।''
- ''आठ सिलेंडर वाले ऑटोमोबाइल इंजन का इस्तेमाल किया। 2011 में मेरी कोशिश कामयाब रही। एयरक्राफ्ट टीएसी-003 बनाने का सफर काफी संघर्ष भरा रहा।''
- ''मेरी मां ने अपना मंगलसूत्र बेचकर मुझे पैसे दिए। भाई ने अपना घर तक गिरवी रख दिया। मैंने एयरक्राफ्ट बनाने के लिए घर की छत पर ही टीन शेड लगाया, वहीं काम शुरू किया।
- ''टीएसी-003 का वजन 1450 किलो है। यह 1500 फीट प्रति मिनट की रफ्तार से टेक ऑफ कर 13 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकेगा। हवा में रफ्तार 185 मील तक होगी। प्लेन को जब किसी प्रदर्शनी में ले जाना होता था, तो इसे क्रेन से उतारना पड़ता था।''
- ''एयरक्राफ्ट बनाने के बाद साल 2011 में डीजीसीए सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया। बात नहीं बनी। इस साल फरवरी में मुंबई में मेक इन इंडिया वीक हुआ तो मैं इसे लेकर पहुंच गया। इसको प्रदर्शनी में रखने का सोचा। मेरे पास अनुमति नहीं थी तो पुलिस वाले मुझे हटाने लगे।''
- ''ये खबर मुख्यमंत्री फड़णवीस को मिली तो उन्होंने मुझे बुलाया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में बात की। सीएम और पीएम की 4 बैठकें हुईं। खुशी है कि इतनी मेहनत सफल रही। आजादी के बाद देश में पहली बार किसी निजी विमान बनाने वाले को सर्टिफिकेट मिला है।''
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