Thursday, 22nd May 2025

नौ दिन-नौ रत्नः शनि का रत्न नीलम, बना देता है रंक को राजा

Mon, Nov 20, 2017 9:21 PM

मल्टीमीडिया डेस्क। वैदिक ज्योतिष में नीलम रत्न शनि गृह का प्रतिनिधि रत्न है। यह अत्तयंत प्रभावशाली रत्न है। कहते हैं कि नीलम राजा को रंक और रंक को राजा बनाने की क्षमता रखता है। इसका असर तेजी से होता है। इसीलिए नीलम को धारण करने से पहले इस बात की जांच की जाती है कि पहनने वाले व्यक्ति को वह सूट कर रहा है या नहीं।

न्याय के देवता शनि का संबंध श्रम से होता है। ऐसा कहना गलत है कि शनि किसी जातक को बैठे बिठाए शोहरत दे देता है। आलसी जातकों को शनि का रत्न नीलम कभी भी रास नहीं आता। यह रत्न मेहनती जातकों को कामयाबी की बुलंदियों पर ले जाता है।

कब पहनना चाहिए नीलम

किसी शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को सूर्य उदय के पश्चात अंगूठी को शुद्ध करने के लिए गंगा जल, दूध, केसर और शहद के घोल में डालें। धूप जलाकर 11 बार ॐ शं शानिश्चार्ये नम: का जाप करते हुए अंगूठी को दिखाएं और फिर उसे शिव के चरणों में स्पर्श कराकर शनिदेव से प्रार्थना करे हे शनि देव में आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न धारण कर रहा हूं। कृपा करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें। फिर अंगूठी को मध्यमा ऊंगली में धारण करें।

जब शनि की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हो उस समय नीलम पहनना लाभकारी रहता है। साढ़ेसाती एवं ढैय्या की अवधि में भी नीलम धारण कारण कल्याणकारी होता है।

नीलम कौन पहन सकता है

जिस व्यक्ति की पत्रिका में शनि शुभ ग्रह का स्वामी हो। शनि का जन्मांक में किसी अन्य शुभ ग्रहों अथवा शुभ भावेशों से प्रतियोग अथवा दृष्टि संबंध न हो साथ ही किसी विद्वान व्यक्ति की देखरेख हो तभी व्यक्ति को नीलम धारण करना चाहिए।

मेष, वृष एवं तुला लग्न के लिए शनि योगकारी ग्रह होते हैं। इस लग्न के व्यक्ति नीलम धारण कर सकते हैं। मकर एवं कुंभ राशि के स्वामी शनि ग्रह हैं, अत: इस लग्न के लिए शनि शुभ होते हैं। अत: मकर एवं कुंभ लग्न के व्यक्ति भी नीलम पहन सकते हैं। वे लोग जिनकी कुंडली में शनि कमजोर, वक्री एवं अस्त है और शुभ भाव में बैठे हैं अथवा शुभ भावों के स्वामी हैं, तो नीलम पहनन सकते हैं।

ये भी नहीं बच सके शनि के प्रभाव से

राजा हरिश्चन्द्र को चक्रवर्ती सम्राट से मरघट के डोम का दास बनाने में शनि गृह प्रमुख कारक था। भगवान राम, कृष्ण, इंद्र आदि भी इसके कोप से नहीं बचे। रावण के सर्वनाश में भी शनि की कुदृष्टि एक प्रमुख कारण रही है। राजा नल को आपदाओं के गर्त में ढकेलने वाला यही शनि था। अतः शनि गृह की क्रूरता और विपरीतता से बचाव के लिए जरूरी है कि नीलम रत्न धारण करने के पूर्व कुंडली के आधार पर शनि गृह की स्थिति का भली भांति परीक्षण किसी कुशल ज्योतिषाचार्य द्वारा अवश्य करवा लेना चाहिए।

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