Friday, 23rd May 2025

अयोध्या में बने राम मंदिर, लखनऊ में अमन की मस्जिद: शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन

Mon, Nov 20, 2017 7:56 PM

लखनऊ. यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा, "राम मंदिर अयोध्या में बनना चाहिए, जबकि लखनऊ में अमन की मस्जिद बने। लखनऊ में घंटाघर के पास हुसैनाबाद ट्रस्ट की जमीन है, वहां मस्जिद बने। शिया वक्फ बोर्ड ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस मस्जिद का नाम किसी राजा के नाम पर न होकर अमन की मस्जिद हो।"

लीक हुआ आपसी समझौते का ड्राफ्ट

- इससे पहले यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और राम मंदिर निर्माण पक्ष के बीच आपसी समझौते का ड्राफ्ट लीक हो गया।

- यह समझौते के ड्राफ्ट का पहला पेज है। इस प्रस्ताव में महंत धर्मदास, सुरेश दास, रामविलास वेदांती, रामदास के सिग्नेचर हैं। 5 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई होगी।

 

लीक हुए ड्राफ्ट में क्या है?

- ड्राफ्ट में लिखा गया है कि बाबरी मस्जिद को 1528 से 1529 के बीच मीर बाकी ने अयोध्या में बनवाया था। मीर बाकी बाबर के सेनापति थे और वो शिया मुसलमान थे।
- बाबरी मस्जिद बनने के बाद उसके मुतल्लवी (केयरटेकर) मीर बाकी रहे। मीर बाकी के बाद 1945 तक उनके परिवार के लोगों ने इस मस्जिद के मुतल्लवी का जिम्मा संभाला। ये सभी लोग शिया मुसलमान थे।
- 1944 में बाबरी मस्जिद को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुन्नी वक्फ बोर्ड कहते हुए नोटिफिकेशन 26.02.1944 के जरिए सुन्नी वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों में अवैध रूप से रजिस्टर्ड कर लिया।
- यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के अवैध रजिस्ट्रेशन को फैजाबाद सिविल कोर्ट में चुनौती दी गई। फैजाबाद सिविल कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया।

- शिया वक्फ बोर्ड ने 30 मार्च 1946 को फैजाबाद सिविल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की ।

 

शिया कमेटी ही वसीम रिजवी को नहीं मानती: इकबाल अंसारी

- हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने कहा कि वसीम रिजवी को तो शिया कमेटी भी नहीं मानती है। घोटालों से बचने के लिए यह राम मंदिर बनाना चाहते हैं। हमारे यहां सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड जो करेगा वही माना जाएगा। ड्राफ्ट भले ही दे दिया गया हो लेकिन कोर्ट का फैसला ही माना जाएगा।

- हाशिम, बाबरी विवाद में ही पक्षकार थे। उनकी मौत हो चुकी है।

 

अयोध्या विवाद में कौन-कौन से पक्ष हैं ?

- निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड।

 

तीनों पक्षों का दावा क्या है ?

- निर्मोही अखाड़ा: गर्भगृह में विराजमान रामलला की पूजा और व्यवस्था निर्मोही अखाड़ा शुरू से करता रहा है। लिहाजा, वह स्थान उसे सौंप दिया जाए।
- रामलला विराजमान: रामलला विराजमान का दावा है कि वह रामलला के करीबी मित्र हैं। चूंकि भगवान राम अभी बाल रूप में हैं, इसलिए उनकी सेवा करने के लिए वह स्थान रामलला विराजमान पक्ष को दिया जाए, जहां रामलला विराजमान हैं।
- सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड:सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का दावा है कि वहां बाबरी मस्जिद थी। मुस्लिम वहां नमाज पढ़ते रहे हैं। इसलिए वह स्थान मस्जिद होने के नाते उनको सौंप दिया जाए।

 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया था?

- 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।

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