नई दिल्ली.राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यों के गवर्नर की सैलरी बढ़ाने का प्रपोजल मोदी कैबिनेट में अटका हुआ है। होम मिनिस्ट्री ने इसे पिछले साल मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा था। दूसरी ओर, जनवरी 2016 में 7th पे कमीशन मिलने के बाद कैबिनेट सेक्रेटरी समेत देशभर के ब्यूरोक्रेट्स की सैलरी में काफी इजाफा हुआ। कैबिनेट सेक्रेटरी और तीनों सेना प्रमुखों की सैलरी सबसे ज्यादा 2.50 लाख रुपए प्रति महीना है, जो राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति से कहीं ज्यादा है।
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, होम मिनिस्ट्री ने प्रपोजल कैबिनेट के पास भेजा है। लेकिन, सालभर के ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी इसे मंजूरी नहीं मिली है। मंजूरी मिलने पर इसे संसद में बहस के लिए रखा जाएगा।
- इसमें पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व गवर्नर की पेंशन भी बढ़ाई जा सकती है। जब मोदी सरकार के स्पोक्सपर्सन से देरी की वजह पूछी गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
राष्ट्रपति-गवर्नर की सैलरी क्या है?
- फिलहाल, राष्ट्रपति को हर महीने 1.50 लाख, उपराष्ट्रपति को 1.25 लाख और राज्यों के गवर्नर को 1.10 लाख सैलरी मिलती है।
- राष्ट्रपति तीनों सेनाओं (आर्मी, नेवी और एयरफोर्स) के सुप्रीम कमांडर होते हैं। हालांकि, राष्ट्रपति की सैलरी तीनों सेना प्रमुखों से कम है। इन्हें भी कैबिनेट सेक्रेटरी की तरह हर महीने 2.50 लाख सैलरी मिलती है।
- जनवरी, 2016 से 7th पे कमीशन मिलने के बाद कैबिनेट सेक्रेटरी को सैलरी देश के सभी ब्यूरोक्रेट्स से ज्यादा हो गई। उन्हें हर महीने 2.50 लाख और सेंट्रल गवर्नमेंट के सेक्रेटरी को 2.25 लाख सैलरी मिलने लगी है।
- होम मिनिस्ट्री के प्रपोजल में राष्ट्रपति को 5 लाख, उपराष्ट्रपति को 3.5 लाख और गवर्नर की सैलरी 3 लाख करने सिफारिश की गई है।
- 2008 में संसद में बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति की सैलरी 50 हजार से बढ़ाकर 1.50 लाख, उपराष्ट्रपति की 40 हजार से 1.25 लाख और गवर्नर की 36 हजार से 1.10 लाख हुई थी।
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