नई दिल्ली.देश में 73 करोड़ से ज्यादा आबादी (करीब 59%) आज भी टॉयलेट और साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही है। केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (क्लीन इंडिया कैम्पेन) के बाद भी ज्यादातर लोग खुले में शौच और गंदे टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर है। इसे लेकर महिलाओं और लड़कियों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। ये दावा दुनियाभर में टॉयलेट फैसिलिटी पर तैयार एक रिपोर्ट में किया गया है। हालांकि इसमें मोदी सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को काफी कामयाब बताया गया है। लेकिन, ये भी कहा गया है कि भारत में अब भी 35 करोड़ महिलाएं और लड़कियां टॉयलेट का इंतजार कर रही हैं।
- रिपोर्ट को WaterAid's State of the World's Toilets 2017 टाईटिल से पब्लिश किया गया है। इसके मुताबिक, अगर 35 करोड़ महिलाओं और लड़कियों एक लाइन से खड़ा कर दिया जाए तो इससे धरती के चार चक्कर लगाए जा सकते हैं।
- रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि अक्टूबर 2014 से नवंबर 2017 के बीच देश में 5.2 करोड़ टॉयलेट बनाए गए। भारत ने खुले में शौच को खत्म करने के लिहाज से जो काम किए हैं, उसकी वजह से वो इस तरह की कोशिश करने वाले 10 देशों में शामिल है। लेकिन, अभी काफी काम होना बाकी है।
- इस रिपोर्ट में भारत के बाद चीन का नंबर आता है। चीन के बारे में कहा गया है कि वहां 34 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास अच्छे टॉयलेट नहीं हैं। हालांकि, चीन ने साल 2000 के बाद इस मामले में काफी काम किया। तब चीन के 40% लोगों के पास टॉयलेट नहीं थे।
- चीन के बाद बेसिक सेनिटेशन की कमी के मामले में अफ्रीकी देश नाईजीरिया तीसरे नंबर पर है।
- रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के नजरिए से देखें तो अब भी तीन में से एक शख्स के पास अच्छी टॉयलेट फैसेलिटी नहीं है। इसमें भी महिलाओं और लड़कियों की तादाद बढ़ने से हालात और खराब नजर आते हैं।
- करीब 110 करोड़ महिलाओं और लड़कियों को टॉयलेट की कमी की वजह से खराब सेहत, लिमिटेड एजुकेशन और अवसरों की कमी का सामना करना पड़ता है। खुले में शौच की वजह से कई बार उन्हें बेइज्जती भी महसूस होती है।
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