रायगढ़. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला सहित अन्य जगहों में अचानक बारिश के साथ-साथ मौसम में आए बदलाव ने किसानों को सबसे ज्यादा परेशान किया है। चूंकि 15 नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी से किसानों को खेतों में लगा अपना धान काट कर बेचने के लिए खरीदी केन्द्र तक ले जाने की कवायद तेज करनी थी, पर बारिश ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है। जिले के कई गांव में तो किसान इस बात को लेकर परेशान हैं कि उनकी धान की फसल खेतों में पकने के बाद पानी से भीग जाने के चलते खराब न हो जाए। चूंकि पिछले तीन दिनों से बदली के बाद बारिश ने खेतों में लगी फसल को भीगों कर रख दिया है। जिसके चलते किसान उसे काट भी नहीं पा रहे हैं और जिन किसानों ने अपनी फसल काट कर धान खरीदी केन्द्र में भेजने की तैयारी की थी उनका पूरा धान भीग गया है।
मौसम में बदलाव के चलते रायगढ़ जिले के उड़ीसा सीमा से लगे ग्राम डोंगरीपाली, लेन्ध्रा, बरमकेला, सरिया व सारंगढ़ क्षेत्रों में जाकर खेतों का हाल जाना गया और किसानों से भी बात की गई तो किसानों के मायूस चेहरे बताते हैं कि उनकी फसल समर्थन मूल्य में बेचने के लिए बड़ी परेशानी खड़ी करने वाली है। हमने सबसे पहले उड़ीसी सीमा से लगे ग्राम डोंगरीपाली जाकर खेतों का जायजा लिया, तो देखा कि अधिकांश खेतों में धान की फसल की कटाई तक नहीं हुई थी और दो दिनों से कभी हल्की तो कभी तेज बारिश ने पूरे खेतों में पानी ही पानी कर दिया है। जिससे फसल की कटाई में अचानक रोक लग गई है। इसके बाद हमने ग्राम लेन्ध्रा व बरमकेला क्षेत्र में जाकर किसानों से बात की तो रोते हुए कुछ किसानों ने बताया कि धान की फसल को पहले दिन तो नमी आ गई और उसके बाद खुले मैदान में रखा हजारों क्विंटल धान पानी में भीग गया। उनका कहना था कि अचानक मौसम में बदलाव का खामियाजा उन्हें इस प्रकार भुगतना पड़ रहा है कि कोई तैयारी भी वे नहीं कर पाए थे जिससे खेतों से काटकर मैदान में रखी धान की फसल पूरी तरह न केवल भीग गई है, बल्कि कई जगह तो पानी भर गया है। यही हाल सारंगढ़, सरिया क्षेत्र में भी देखने को मिला। जहां 15 नवंबर से धान के समर्थन मूल्य की खरीदी की घोषणा होने के बाद खुशी से लबरेज किसान खेतों में जाकर अपनी फसल काटने की तैयारी कर रहे थे कि उनके अरमानों पर बारिश ने पानी फेर दिया। चेहरे उतरे हुए और चिंता में डूबे क्षेत्र के किसान कहते हैं कि ऐसी धान की फसल को अगर वे खरीदी केन्द्र तक ले भी जाते हैं तो नमी के चलते उनका धान न केवल वापस कर दिया जाएगा। बल्कि रिजेक्ट करके उन्हें खरीदी से वंचित करने की भी कोशिश की जाएगी।
किसानों को दोहरी चिंता सता रही
परेशान किसानों से बातचीत के बाद इस बात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासकीय निमयों के अनुसार नमी वाले धान को न केवल रिजेक्ट किया जाएगा, बल्कि उन्हें खरीदी केन्द्र से तत्काल उठाने को भी कहा जाएगा और इसी नियम के चलते किसानों को दोहरी मार झेलनी की चिंता सता रही है।
अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ेगा
किसानों का यह भी कहना है कि खेतों से काटकर धान की फसल परिवहन के जरिए अगर खरीदी केन्द्र तक ले जाई जाती है तो ट्रांसपोटिंग में होने वाला खर्चा किसानों को अतिरिक्त रूप से वहन करना पड़ेगा। चूंकि बारिश में भीगे हुए धान को समर्थन मूल्य में लेने की पहले से ही मनाही है। आधा दर्जन से भी अधिक गांव में दौरा करने के बाद यह बात साफ हो जाती है कि बीते 3 दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिश तथा बदली ने किसानों की कमर तोड़ दी है और उनकी पकी पकाई फसल भी खराब होने की चिंता से किसानों के चेहरे मुरझा दिया है।
किसानों को नही होने दी जाएगी परेशानी-आबिदी
मौसम में बदलाव के चलते होनें वाली बारिश तथा बदली के चलते धान की फसल में नमी तथा भीग जाने के मामले को लेकर किसानों की परेशानी को देखते हुए जिले की कलेक्टर शम्मी आबिदी ने कहा है कि किसानों को इस मुद्दे को लेकर परेशान होनें की जरूरत नही है चूंकि शासन इस मामले में किसानों की परेशानी को देखते हुए उनके धान को खरीदने के लिए पहल करेगा। शम्मी आबिदी का कहना है कि उन्होंने कई इलाकों में दौरा करने के बाद स्थिति का जायजा लिया है और इसके बाद भी समर्थन मूल्य में अपना धान बेचने के लिए किसान धान खरीदी केन्द्र तक जाते है तो उनका धान वापस नही करने के लिए निर्देश भी जारी किए जा चुकें है।
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