मुम्बई। जहां दिन प्रतिदिन बढ़ती चोरी की घटनाओं से परेशान लोग सुरक्षा के नित नये उपाय कर रहे हैं वहीं देश में एक ऐसी भी जगह है जहां सुरक्षा के दृष्टि से घरों में ताले तक नहीं लगाए जाते हैं। जी हां, आपने सही पढ़ा , इस गांव की खासियत हैं कि आज तक यहां एक भी चोरी की घटना सामने नहीं आई है।
महाराष्ट्र के शिगंणापुर नामक गांव में शनिदेव का मंदिर स्थित है। यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर से लगभग 35 कि.मी. की दूरी पर है। यहां शनिदेव की प्रतिमा खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं। गांव में लगभग तीन हजार जनसंख्या है पर किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। कहीं भी कुंडी तथा कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता।
इतना ही नहीं, यहां के लोग आलमारी, सूटकेस आदि भी नहीं रखते। कहते हैं ऐसा शनि भगवान की आज्ञा से किया जाता है। लोग घर की मूल्यवान वस्तुएँ, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली तथा डिब्बे या ताक का इस्तेमाल करते हैं।
केवल पशुओं से रक्षा हो, इसलिए बाँस का ढँकना दरवाजे पर लगाया दिया जाता है। खास बात ये है कि शनि का प्रताप यहां ऐसा है कि आज तक यहाँ पर कभी चोरी नहीं हुई। यहाँ आने वाले भक्त भी अपने वाहनों में ताला नहीं लगाते। फिर भी कभी किसी वाहन की चोरी नहीं हुई।
स्वंयभू शनि का स्थान-
इस जगह पर शनि भगवान की स्वयंभू मूर्ति है। ये काले रंग की 5 फुट 9 इंच ऊँची व 1 फुट 6 इंच चौड़ी मूर्ती है। ये मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर धूप में ही विराजमान है। यहाँ शनिदेव आठों प्रहर धूप, आँधी, तूफान, जाड़ा, गर्मी और बरसात हर मौसम में बिना छत्र धारण किए स्थापित रहते हैं। यहां अमीर से लेकर साधारण लोगों तक भक्त हजारों की संख्या में देव दर्शनार्थ प्रतिदिन आते हैं।
शनिवार होता है खास-
शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस और सप्ताह के प्रत्येक शनिवार को देश के कोने-कोने से भक्तगण यहाँ आते हैं तथा शनि देव की पूजा, अभिषेक आदि करते हैं। प्रतिदिन सुबह 4 बजे और शाम 5 बजे यहाँ उनकी आरती होती है। शनि जयंती पर ब्राह्मण शनि देव का 'लघुरुद्राभिषेक' करते हैं।
यह रुद्राभिषेक सुबह 7 से शाम 6 बजे तक चलता है। श्री शिंगणापुर में प्रतिदिन करीब 13,000 लोग दर्शन करने आते हैं और शनि अमावस और शनि जयंती को लगने वाले मेले में इनकी संख्या 10 लाख तक पहुंच जाती है।
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