दुष्कर्म पीड़िता बच्ची को डॉक्टर ने ठीक से तीन मिनट भी नहीं देखा और चला गया
Mon, Nov 13, 2017 4:52 PM
महासमुंद(रायपुर)।पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म मामले में जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने भारी लापरवाही बरती। इसका खुलासा जिला अस्पताल में लगे सीसीटीवी फुटेज से हुआ है। भास्कर ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि बच्ची को डॉक्टर ने बमुश्किल 3 मिनट ही देखा और इलाज करने के बजाए बाहर निकल गया।
- नर्स को टिटनेस का इंजेक्शन लगाकर रायपुर रेफर करने के लिए कह दिया। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार शनिवार रात 7.29 बजे बच्ची की मां जिला अस्पताल पहुंची। 7.33 काे डॉक्टर पहुंचे आैर वे 7.36 बजे बाहर निकल आए। इसके ठीक सात मिनट बाद 7.43 बजे मां बच्ची को लेकर अस्पताल के बाहर निकल गई। फिर परिजन बच्ची को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां भी डॉक्टर के नहीं होने से वे वापस घर लौट आए।
जानिए,अस्पताल प्रबंधन ऐसे छिपा रहा लापरवाही
- पहले तो प्रभारी सिविल सर्जन एनके मंडपे ने डॉ. नागेश्वर राव की ड्यूटी होना बताया, जबकि जिस वक्त बच्ची को लेकर परिजन पहुंचे उस समय डा. गिरधारी चंद्राकर थे।
- जांच में पता चला कि उस वक्त डॉ. गिरधारी चंद्राकर की ड्यूटी थी, जबकि शनिवार काे तैयार ड्यूटी चार्ट में सिविल सर्जन के हस्ताक्षर थे।
- सिविल सर्जन का कहना है कि डॉक्टर ने परिजनों को रायपुर रेफर करने की बात कही, लेकिन बच्ची के पिता ने रविवार को फिर कहा कि डॉक्टर ने गायनोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण निजी आदित्य हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी।
- कोई भी केस आने पर तुरंत पुलिस को सूचना दी जाती है, लेकिन इस मामले में पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी गई, जबकि यह मामला गंभीर था, क्योंकि बच्ची के प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था।
- यदि पुलिस को मामले की सूचना दी गई थी तो 15 घंटे बाद अपराध पंजीबद्ध क्याें हुआ?
कलेक्टर को सौंपी गई रिपोर्ट में डॉक्टर को क्लीनचिट :
उधर, इस मामले में कलेक्टर हिमशिखर गुप्ता को जिला अस्पताल प्रबंधन की ओर से सौंपी गई जांच रिपोर्ट में संबंधित डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को क्लीन चिट दी है। प्रभारी सिविल सर्जन की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार बच्ची का प्रॉपर इलाज करने के बाद ही रायपुर रेफर किया गया। लेकिन परिजन रात हो जाने की बात कहकर अपने घर वापस लौट गए।
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