Friday, 23rd May 2025

नोटबंदी में दिन-रात एक करने वाले बैंककर्मियों को वेतन देना भूल गए

Wed, Nov 8, 2017 6:43 PM

हरिओम गौड़, श्योपुर। नोटबंदी लागू होने के बाद 53 दिन तक 1000 और 500 के पुराने नोट को बैंकों में जमा करने का दौर चला। उस समय प्रधानमंत्री मोदी से लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने बैंक व एटीएम के बाहर कतार में खड़ी देश की जनता के धैर्य से पहले बैंक कर्मचारियों की लगन की तारीफ की थी।

जब सरकार ने नोटबंदी को सफल बताया तो उसका श्रेय बैकों के कर्मचारियों को भी दिया ,लेकिन नोटबंदी में दिन-रात और छुट्टी के दिन भी काम करने वाले एसबीआई बैंक के कर्मचारियों को एक साल बीतने के बाद भी ओवरटाइम व अवकाश के दिन काम करने का वेतन नहीं दिया गया है। एक-दो बैंकों ने ओवरटाइम का पैसा दिया तो कुछ ने देने से ही इंकार कर दिया है।

नोटबंदी की घोषणा 8 नवंबर को हुई। दूसरे दिन 9 नवंबर की सुबह से 500 व 1000 के नोटों को बैंकों में जमा कराने वालों की भीड़ जुटने लगी। उस समय बैंकों पर काम का इतना लोड था कि रिजर्व बैंक ने नवंबर महीने में बैंकों की छुट्टियां रद्द कर दी।

यहां तक कि रविवार को भी बैंकों को खुलने व नोट बदलने के आदेश दिए गए। नवंबर 2016 में 24, 26, 30 और 31 तारीख की छुट्टियां थीं,लेकिन इन चार दिनों में बैंकें खुली और नोट बदलने का काम किया गया। इतना ही नहीं कर्मचारियों ने सुबह 8 से लेकर रात 2 बजे तक बैंकों में काम किया।

उस समय बैंककर्मियों को ओवरटाइम का वेतन देने का भरोसा दिया गया। देश की सबसे बड़ी बैंक एसबीआई ने एक साल बाद भी यह वेतन नहीं दिया है। मप्र में एसबीआई की 1400 ब्रांच हैं जिनमें 12 हजार 800 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैंं। इन सभी को ओवरटाइम का वेतन मिलना है।

दूसरी तरफ यूनियन बैंक ने करीब 9 महीने पहले ही अपने कर्मचारियों को ओवरटाइम का पैसा दे दिया है तो एडीएफसी सहित कुछ और बैंक हैं जिन्होंने, कर्मचारियों को ओवरटाइम का वेतन देने से इंकार सा ही कर दिया है। यह बैंकें ऐसे किसी भी तरह के वेतन को स्वीकार ही नहीं कर रहीं।

इनका कहना है

 

हमें ओवरटाइम का पैसा मिलना था। चार दिन छुट्टियों के अलावा देर रात तक जितने दिन काम हुआ उसका बढ़ा हुआ वेतन मिलना था, जो अब तक नहीं मिला। प्रदेश के एसबीआई कर्मचारी-अधिकारियों ने अपनी बात हेड ऑफिस तक पहुंचाई लेकिन, अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ। 

 

अनिल कुमार सिंह चौहान बैंक मैनेजर, एसबीआई श्योपुर

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery