खंडवा। खंडवा की डॉ. अमृता जैन जर्मनी और नीदरलैंड में कैंसर और हार्ट स्ट्रोक पर रिसर्च कर रही हैं। कैंसर के उपचार में प्रोटीन और वसा पर दवाओं के असर पर उसने कई शोध किए हैं। अभी हार्ट स्ट्रोक पर दवाओं को लेकर शोधकार्य जारी है।
डॉ. अमृता ऐसी दवा बनाना चाहती हैं, जिससे डीएनए से ही बीमारियों को खत्म कर दिया जाए। इससे आनुवांशिक बीमारियों को रोकने और उपचार में मदद मिलेगी। जर्मनी में रिसर्च ब्रेक में वे खंडवा आई, इस दौरान नईदुनिया ने उनसे चर्चा की।
12वीं तक खंडवा में पढ़ाई कर अमृता बायोटैक में बैचलर्स डिग्री करने चली गईं। इसके बाद जींस स्टडीज में मास्टर्स के लिए वे तमिलनाडु के मदुरै चली गईं। पढ़ाई पूरी कर दिल्ली के भारतीय प्रतिरक्षा संस्थान में काम करने लगीं। यहां जर्मनी और नीदरलैंड के संयुक्त शोधकार्य के लिए उन्हें मरक्यूरी फैलोशिप मिली। वर्ष 2013 से 17 के लिए मिली फैलोशिप में प्रतिवर्ष करीब 70 लाख रुपए दिए जा रहे हैं।
यहां उन्होंने 18 देश के शोधकर्ताओं के साथ कैंसर के असर, प्रोटीन और वसा पर दवाओं के प्रभावों, कैंसर के कारणों सहित अन्य बिंदुओं पर रिसर्च की। इसके साथ ही बैक्टीरिया से मानव जाति का विकास, प्रोटीन पर कैंसर दवाओं का असर और कोशिकाओं के संबंध में भी शोध किया। अब नए प्रोजेक्ट में वे जर्मनी की ओसनबु्रक यूनिवर्सिटी के साथ हार्ट स्ट्रोक के कारणों और उपचार पर रिसर्च कर रही हैं।
मरीजों को मिलेगा लाभ
डॉ. अमृता का कहना है कि वे ऐसी दवा का आविष्कार करने का प्रयास कर रही हैं, जिससे डीएनए में ऐसी प्रोटीन को खत्म किया जा सकेगा जो बीमारियों को आनुवांशिक बनाता है। इससे शुगर, जोड़ों के दर्द, चर्म रोग सहित अन्य गंभीर बीमारियों को माता-पिता से बच्चों में आने से बचाया जा सकेगा। कैंसर में रिसर्च कर हमने जो परिणाम दिए हैं, उन पर डॉक्टर्स और ड्रग स्पेशलिस्ट प्रयोग कर उन्हें मरीजों तक पहुंचाएंगे।
मां और दादा ने दिया हौसला
पिता अरुण जैन का निधन तब हो गया था जब अमृता महज ढाई साल की थीं। मां सुजाता और पूर्व सैनिक दादा विमलचंद ने उसे हौंसला दिया और विज्ञान व शोध में उसकी रुचि को देखते हुए उसे आगे बढ़ाया। अमृता के छोटे भाई रजनीश खंडवा में अधिवक्ता हैं।
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