भोपाल। बरसों से लंबित राजस्व मामलों के निराकरण के लिए सरकार ने मैदानी स्तर पर संविदा नियुक्ति करने का फैसला तो कर लिया पर अभी तक नियुक्तियां नहीं कर पाई है। करीब 250 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने तहसीलदार और नायब तहसीलदार बनने के लिए आवेदन किए हैं, लेकिन प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पा रही है।
उधर, 15 नवंबर के बाद अविवादित नामांतरण, सीमांकन और बंटवारे के मामले बताने वालों को एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार देने की घोषणा भी मुख्यमंत्री कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक पदोन्नति में आरक्षण का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित होने से राजस्व विभाग में पदोन्नतियां पूरी तरह रुकी हुई हैं।
सेवानिवृत्तियां होने की वजह से मैदानी स्तर पर तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक से लेकर अन्य पद खाली हैं। नायब तहसीलदार की भर्ती के लिए विभाग राज्य लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव भेज चुका है। उधर, सवा नौ हजार पटवारियों के रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया जा चुका है पर यह प्रक्रिया पूरी होने में समय लगेगा।
इससे जो काम प्रभावित हो रहा है, उसे पटरी पर लाने के लिए तहसीलदार, नायब तहसीलदार, भू-अभिलेख और सहायक भू-अभिलेख अधिकारियों के रिक्त पदों को संविदा के माध्यम से भरने का फैसला किया गया है। इसके लिए संभागीय स्तर पर सेवानिवृत्त अफसरों से आवेदन मांगे गए थे।
करीब ढाई सौ आवेदन आ भी चुके हैं पर प्रक्रिया में लंबा समय लग रहा है। विभाग के प्रमुख सचिव अरुण पाण्डेय का कहना है कि नियुक्ति से पूर्व संबंधित अधिकारी का दस साल का सेवा रिकॉर्ड दिखवाया जा रहा है। जांच एजेंसियों से भी जानकारियां मांगी गई हैं।
दावा करो, इनाम पाओ
मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक 15 नवंबर के बाद अविवादित नामांतरण, सीमांकन और बंटवारे के लंबित मामले बताने वाले को एक लाख रुपए का पुरस्कार मिलेगा। बताया जा रहा है कि ज्यादातर अविवादित मामले निपट चुके हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्रकरण दर्ज होना और उसका निराकरण होना, एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। यदि कोई जानबूूझकर इन कामों में देरी करता है तो वो दंड का हकदार होता है।
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