वार्ता के लिए श्रीनगर पहुंचे दिनेश्वर, कांग्रेस बोली- कश्मीर पॉलिसी पर केंद्र का यू-टर्न
Tue, Nov 7, 2017 6:37 PM
श्रीनगर. केंद्र सरकार के स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव दिनेश्वर शर्मा (61) बातचीत के लिए 5 दिन का दौरे पर कश्मीर पहुंचे। शर्मा 3 दिन में कश्मीर घाटी और 2 दिन जम्मू में रहेंगे। यहां वे गवर्नर एनएन वोहरा, सीएम महबूबा मुफ्ती और कई डेलिगेशन से वार्ता करेंगे। रविवार को उन्होंने कहा कि घाटी में शांति स्थापित करने के लिए उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। पर कोशिश रहेगी कि स्थाई शांति सुनिश्चित की जाए। इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि शर्मा के कश्मीर में बातचीत के लिए आने से कुछ खास हासिल नहीं होगा। 24 अक्टूबर को सरकार ने शर्मा को कश्मीर में बातचीत के लिए रिप्रेजेंटेटिव अप्वाइंट किया था। सरकार ने शर्मा को कैबिनेट सेक्रेटरी का दर्जा दिया है।
कश्मीर पर सरकार का यू टर्न
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीए मीर ने कहा, "पिछले 3 साल से सरकार लगातार यही कह रही है कि उन लोगों से बात नहीं की जाएगी, कानून के दायरे में रहकर बात नहीं करेंगे। आज बीजेपी कह रही है कि हम खुली बातचीत के लिए तैयार हैं। ये तो कश्मीर पॉलिसी पर यू-टर्न है।"
- मीर ने कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी की सरकार को हर मोर्चे पर नाकाम बताया। उन्होंने कहा कि सरकार अगर राज्य में सबसे बात करना चाहती है तो उसे रोडमैप बनाना चाहिए।
- "हम बीते 15 दिन से स्टेकहोल्डर्स की लिस्ट मांग रहे हैं, लेकिन उसे वे पर्दे के पीछे रख रहे हैं। पीडीपी-बीजेपी सरकार को बने हुए 3 साल हो गए लेकिन उनका एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। दोनों पार्टियां राज्य को बांटने का काम कर रही हैं। मुद्दों को बीजेपी एक ओर ले जाती है तो पीडीपी दूसरी तरफ। ऐसे में जनता पिस रही है।"
पहले से ही किसी नतीजे पर पहुंचना सही नहीं
- इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व चीफ शर्मा ने कहा, "घाटी में विभिन्न पक्षों के साथ बातचीत शुरू होने से पहले किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए। मेरे काम के आधार पर ही मुझे परखा जाए। हवा में तीर चलाने से बचना चाहिए।"
- उन्होंने कहा, "मैं कश्मीरियों का दर्द समझता हूं और एक सही समाधान पाना चाहता हूं। आईबी में रहने के दौरान कश्मीर उनका दूसरा घर था। पहली बार जब कश्मीर गया था, तब से अब तक कुछ नहीं बदला। कश्मीरियत में जरा भी बदलाव नहीं आया है।"
कौन हैं दिनेश्वर शर्मा?
- शर्मा 1979 बैच के आईपीएस हैं। वे इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) चीफ रह चुके हैं। वे मणिपुर में भी अलगाववादी गुटों से बातचीत कर चुके हैं।
- केरल कैडर के शर्मा की कश्मीर घाटी में पहली बार पोस्टिंग मई 1992 में हुई थी। वे इंटेलिजेंस ब्यूरो हेडक्वार्टर्स, नई दिल्ली से एक साल की ट्रेनिंग लेने के बाद यहां आए थे। उस वक्त शर्मा 36 साल के थे। वे घाटी में 1992 से 1994 तक असिस्टेंट डायरेक्टर रहे। बाद में 2014 से 2016 तक आईबी के चीफ रहे।
क्यों उन्हें चुना गया?
- राजनाथ सिंह ने बताया- "शर्मा घाटी के सभी पक्षों से बातचीत कर उनकी उम्मीदों को जानने की कोशिश करेंगे। वह जिससे चाहे बातचीत कर सकते हैं।"
- शर्मा को ही क्यों चुना गया के सवाल पर राजनाथ ने कहा- "वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए नहीं है। वह 1979 बैच के इंडियन पुलिस सर्विस के अफसर हैं। वे एक अनुभवी और काबिल हैं। वे जम्मू-कश्मीर मामलों के अच्छे जानकार भी हैं। इसके अलावा वह देश की इंटरनल सिक्युरिटी से जुड़ी परेशानियों से अच्छे से वाकिफ हैं।"
- महबूबा मुफ्ती ने कहा- "वह (दिनेश्वर) अच्छे इंसान हैं और उनकी विश्वसनीयता बहुत ज्यादा है। वह नॉर्थ-ईस्ट में अलगाववादी गुटों से हो रही भी बातचीत में शामिल रहे हैं।"
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