सूरत. यहां से पकड़े गए आईएस के संदिग्ध आतंकवादी उबेद मिर्जा और कासिम स्टिंबरवाला से पूछताछ में एटीएस के हाथ बड़ी कामयबी लगी है। दोनों संदिग्ध आतंकियों ने खुलासा किया है कि वे जमैका के जिस धर्म गुरु अब्दुल्ला अल फजल के विचारों से प्रभावित होकर आईएस से जुड़ने का मन बनाया था, उसका रोल लंदन में हुए कई लोन वुल्फ हमले में भी है। इन हमलों के लिए अब्दुल्ला स्थानीय आतंकियों को उकसाया था। उबेद और कासिम को भी उसने कट्टर बनाया था। बता दें कि दोनों संदिग्ध आतंकवादियों को गुजरात एटीएस ने 25 अक्टूबर को सूरत और अंकलेश्वर से अरेस्ट किया गया था।
क्या आरोप हैं उबेद मिर्जा और कासिम स्टिंबरवाला पर
- पुलिस के मुताबिक, इन्होंने अहमदाबाद और बेंगलुरु में यहूदी धर्मस्थल के बाहर कार से कुचलकर हत्या करने का प्लान बनाया था। आरोप है कि दोंनो आईएस के लिए भारत में काम कर रहे थे। अब इन लोगों से पूछताछ कर पूरे नेटवर्क और इनकी योजनाओं की जानकारी निकाली जा रही है।
अब्दुल्ला फजल के बातचीत करते थे उबेद-कासिम
-उबेद-कासिम दोनों आतंकी अब्दुल्ला अल फजल के साथ स्काइप-वॉट्सएप के जरिए संपर्क में रहते थे। वे एक दूसरे से बात किया करते थे। सोशल मीडिया के जरिए दोनों का संपर्क शफी अरमार और शाजिया से हुई। उन्हीं से दोनों को अब्दुल्ला अल फजल का मोबाइल नंबर मिला था। उसके बाद दोनों अब्दुल्ला से नियमित रूप से स्काइप और वॉट्सएप कॉलिंग के जरिये बात किया करते थे। उबेद और कासिम को पहले शफी, शाजिया ने और बाद में अब्दुल्ला ने अहमदाबाद में पहला हमला करने के लिए उकसाया था।
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यूके ने जमैका डिपोर्ट किया था अब्दुल्ला को
- लंदन अटैक के मामले में धर्म गुरु अब्दुल्ला अल फजल को आतंकियों को उकसाने का दोषी पाए जाने पर उसे 2007 में यूके से निकाल दिया गया और जमैका डिपोर्ट कर दिया गया। एटीएस को मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में अमेरिका ने अब्दुल्ला को डिटेन किया है, क्योंकि उसने इंटरनेट बेस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके पूरी दुनिया के युवकों को सीरिया जाने के लिए उकसा रहा है।
- बता दें कि अब्दुल्ला मूल रूप से जमैका का रहने वाला है। वह लंदन में भी रह चुका है। वह कट्टरपंथी है। वह युवकों को आईएस से जुड़ने के लिए और आतंकी हमला करने के लिए उकसाता है। लंदन में युवकों को हिंदू, यहूदी, ईसाई और अमेरिकन नागरिकों की हत्या के लिए उकसाता था। उसके उकसाने पर ही लंदन में हमला भी हुआ था। लंदन में अब्दुल्ला के खिलाफ केस भी चला था। इस केस में वह दोषी करार दिया गया।
एटीएस की चाल: तीन साल से थी नजर, गिरफ्तारी अब
- एटीएस सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसी की नजर तीन साल से कासिम और उबेद पर थी, लेकिन उन्हें अरेस्ट नहीं किया गया। इसके पीछे का कारण यह था कि वह दोनों की गतिविधियों पर नजर रख रही थी। इनके जरिये वह उन लोगों के बारे में भी जानकारी इकट्ठा करना चाहती थी, जिनके उकसावे पर ये काम कर रहे थे। दोनों के फोन, वाट्सएप, स्काइप और सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों पर नजर रखी जा रही थी। जब एटीएस को लगा कि अहमदाबाद के एक यहूदी धर्मस्थल पर हमले की योजना में ये काफी नजदीक पहुंच गए हैं, तो उन्हें अरेस्ट कर लिया गया।
-एटीएस ने उबेद और कासिम के फोन इंटरसेप्ट किए थे, जिसमें कई चौंकाने वाली बातें रिकॉर्ड हुई थी। इसी रिकॉडिंग से पता चला था कि दोनों की अहमदाबाद में हमला करने के बाद जमैका भागने की योजना थी
उबेद ने घर की छत पर की फायरिंग की थी प्रैक्टिस
- अहमदाबाद में यहुदी धर्मस्थल पर अटैक करने के लिए उबेद और कासिम ने तीन तरीकों के बारे में सोचा था। इसमें से पहला तरीका गोलीबारी करके लोगों की हत्या करना था। इसके लिए उबेद ने फायरिंग की प्रैक्टिस भी की थी।
- एटीएस सूत्रों के अनुसार उबेद ने ढ़ाई महीने पहले अपने अपार्टमेंट की छत पर फायरिंग की प्रेक्टिस की थी।
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