भोपाल। मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना में अब तक 90 हजार किसान 30 लाख क्विंटल से ज्यादा फसल बेच चुके हैं। इन्हें 15 दिन के औसत भाव के हिसाब से अंतर के करीब सवा सौ करोड़ रुपए सरकार देगी। योजना आने के बाद भाव में कमी नहीं आई है। सोयाबीन को छोड़ दिया जाए तो मूंग और उड़द के भाव बढ़े हैं। आगर-मालवा सहित कुछ अन्य जगहों पर जो उपद्रव हुए हैं, उसमें असामाजिक तत्वों का दखल ज्यादा सामने आया है।
मंडी बोर्ड को अभी तक एक भी ऐसी ठोस शिकायत नहीं मिली है, जिसमें यह दावा किया गया हो कि भावांतर भुगतान योजना के चलते भाव गिराए गए हों। उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुबह योजना की समीक्षा करते हुए मंडियों में उपजों के मॉडल रेट प्रदर्शित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
योजना लागू होने से पहले और बाद में उपजों के भाव में कमी आने की बात को लेकर मुख्यमंत्री के सामने अधिकारियों ने हर दिन की खरीदी का ब्योरा रखते हुए साफ किया कि ऐसी स्थिति कहीं नहीं है। भ्रम फैलाया जा रहा है। तिल को छोड़कर अन्य फसलों के भाव प्रदेश सहित अन्य राज्यों में समर्थन मूल्य से कम चल रहे हैं। मंडियों में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीदी हो रही है।
ऐसी सूरत में भावांतर योजना की वजह से किसानों को बड़ी राहत मिल रही है। अब तक योजना में 30 लाख 10 हजार 27 क्विंटल फसल किसानों ने बेची है। 16 से 30 अक्टूबर के बीच मंडियों में हुए सौदों को देखा जाए तो किसानों को भावांतर योजना में करीब सवा सौ करोड़ रुपए अंतर की राशि के तौर पर मिलेंगे।
कमजोर मानसून को देखते हुए कम भाव मिलने की संभावना थी, ऐसे में यह योजना किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। इसका फायदा 60 प्रतिशत उन किसानों को मिलेगा, जिनके पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है। खरीफ फसलों की खेती करने वाले करीब 40 प्रतिशत किसान योजना के दायरे में हैं।
मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक फैज अहमद किदवई ने बताया कि अभी तक के ट्रेंड को देखा जाए तो योजना आने के बाद मंडी में आने वाली उपज में 10 से 30 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है। इसका असर मंडी की आमदनी पर भी पड़ेगा, जो किसानों के हितों में ही खर्च होती है।
नकद भुगतान को लेकर उन्होंने माना कि कुछ जगहों पर समस्या है, जिसे दूर करने जिला प्रशासन काम कर रहा है। आगर सहित अन्य जगह मंडियों में हुए उपद्रव पर उन्होंने कहा कि असामाजिक तत्व दखल कर रहे हैं।
एक भी शिकायत अब तक ऐसी नहीं मिली है, जिसमें भाव गिराने की बात सामने आई हो। व्यवस्था में सुधार के लिए तय किया गया कि मंडियों में पंजीकृत और गैर पंजीकृत किसानों की उपज की बोली एक साथ लगेगी। खरीदी होने के बाद किसान से पूछा जाएगा कि वो योजना में पंजीकृत है या नहीं।
मप्र ने ही दिखाई हिम्मत
मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक ने कहा कि योजना नीति आयोग के पेपर पर बनी है। आयोग ने सभी राज्यों से इस विकल्प पर विचार करने के लिए कहा था पर हिम्मत सिर्फ मध्यप्रदेश दिखा पाया। छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब और उत्तराखंड योजना का मसौदा मांग चुके हैं।
गिरे नहीं स्थिर हैं भाव
प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि योजना लागू होने के बाद भाव गिरने की बात बिल्कुल गलत है। उड़द और मूंग में औसत भाव बढ़े हैं। सोयाबीन में कुछ कमी आई है पर ये भी राजस्थान और महाराष्ट्र की तुलना में बेहतर है।
पिछले 15 दिन का औसत भाव (प्रति क्विंटल और हजार रुपए में)
मक्का--1,190
मूंग--4,120
उड़द--3,410
सोयाबीन--2,580
मूंगफली--3,760
तिल--5,400
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