मुंबई। पूर्व टेस्ट ओपनरों माधव आप्टे और नारी कांट्रेक्टर ने मंगलवार को सीके नायडू की 122 वीं जयंती पर भारत में उनके योगदान को याद किया। दोनों ने घरेलू क्रिकेट मैच का वह किस्सा सुनाया जब चेहरे पर गेंद लगने से दांत टूटने के बावजूद नायडू ने अर्धशतक जड़ा था।
भारत के पहले टेस्ट कप्तान नायडू का जन्म 31 अक्टूबर 1895 को नागपुर में हुआ था और अंतिम सांस 14 नवंबर 1967 को इंदौर में ली थी। आदित्य भूषण ने नायडू पर किताब लिखी है, जिसका शीर्ष " ए कर्नल डेस्टाइंड टू लीड" है, जिसका विमोचन यहां सीसीआई में आप्टे और कांट्रेक्टर ने किया।
वर्ष 1952 में रणजी ट्रॉफी फाइनल खेलने वाले आप्टे ने याद किया कि तब तत्कालीन बंबई और भारत के ऑलराउंडर दत्तू फडकर ने नायडू को बाउंसर फेंकी थी। होलकर टीम के सीके आगे बढ़कर खेले तथा उनका दांत टूट गया। मैं क्षेत्ररक्षण कर रहा था और दौड़कर उनके पास गया। उन्होंने कहा कि मुझे मत छुओ और अपना रुमाल निकाला, नीचे गिरा हुआ दांत उठाया और उसे अपनी जेब में डाल लिया। फिर उन्होंने दोबारा बल्लेबाजी करते हुए 60 के आसपास रन बनाए जिसमें दो छक्के भी शामिल थे। उस समय उनके साझेदार मेजर एमएम जगदाले थे। नायडू को कड़ा कप्तान करार देते हुए कांट्रेक्टर ने कहा कि सीके के लिए फिटनेस काफी मायने रखती थी।
किसी ब्रांड को एंडोर्स करने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर थे नायडू
1941 में बाथगेट लिवर टॉनिक का चेहरा बने था यह इंदौरी क्रिकेटर। वर्तमान दौर में देशी और विदेशी कंपनियों के उत्पादों के प्रचार के लिए सबसे ज्यादा क्रिकेटरों का सहारा लिया जाता है। मगर कम ही लोग जानते हैं कि इंदौर के कर्नल सीके नायडू न सिर्फ देश के पहले टेस्ट कप्तान थे बल्कि किसी कंपनी के उत्पाद को एंडोर्स करने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर भी थे। उन्होंने 1941 में बाथगेट लिवर टॉनिक को एंडोर्स किया था। इस समय तक भारत को आजादी भी नहीं मिली थी।
कोट्टारी कनकैया नायडू ने 7 साल की उम्र में स्कूल टीम का प्रतिनिधित्व किया और करीब 62 साल की उम्र तक रणजी ट्रॉफी खेली। उन्होंने 207 प्रथमश्रेणी मैचों में 11825 रन बनाए, जिसमें 26 शतक और 58 अर्धशतक थे। इसके अलावा 170 कैच भी लपके।
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