Friday, 23rd May 2025

UPA में ईज ऑफ डूइंग करप्शन, NDA में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: जेटली का तंज

Wed, Nov 1, 2017 9:31 PM

नई दिल्ली. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत की पोजिशन में जबर्दस्त सुधार को लेकर राहुल गांधी ने अरुण जेटली पर तंज कसा है। उन्होंने बुधवार को ट्वीट किया- खुद को खुश रखने को "Dr Jaitley" ख्याल अच्छा है। इस पर जेटली ने ट्वीट कर जवाब दिया- UPA और NDA सरकार में फर्क ये है कि ईज ऑफ डूइंग करप्शन की जगह, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस ने ले ली है।" बता दें कि जेटली ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भारत की इस तरक्की के बारे में जानकारी दी थी।
 
 
 

राहुल ने क्या लिखा ट्वीट में?

- राहुल ने लिखा- सबको मालूम है “ease of doing business” की हकीकत, लेकिन ख़ुद को खुश रखने के लिए "Dr Jaitley" ये ख्याल अच्छा है।"
 

क्या बताया था जेटली ने?

- जेटली ने मंगलवार प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वर्ल्ड बैंक के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत 30 पायदान उछलकर 100th पोजिशन पर आ गया है। इस कैटेगिरी में इंडिया सबसे ज्यादा इम्प्रूवमेंट करने वाला देश है।
- उन्होंने वर्ल्ड बैंक की ‘डूइंग बिजनेस 2018: रिफॉर्म्स टू क्रिएट जॉब्स’ रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत अकेला देश है, जिसने स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स किए। इस रिपोर्ट पर नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि टीम इंडिया की तरफ से मल्टी सेक्टरल रिफॉर्म्स में जो तेजी लाई गई है, यह सुधरी हुई रैंकिंग उसी का नतीजा है।
 

रैंकिंग में सुधार की वजह क्या है?

- रिपोर्ट में रैंकिंग में उछाल की वजह टैक्सेशन रिफॉर्म्स, लाइसेंसिंग, इन्वेस्टर्स प्रोटेक्शन और बैंकरप्सी रिजोल्यूशंस को बताया गया।
- लिस्ट में भारत की पोजिशन पिछले साल 130th थी और उससे पहले 142nd थी।
 

यह रिपोर्ट क्यों मायने रखती है?

- सरकार ने कहा था कि इकोनॉमी के फंडामेंटल्स स्ट्रॉन्ग हैं। साथ ही नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के फैसले से मंदी आने के आरोप निराधार हैं। सरकार का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों से देश की इकोनॉमी को बड़े फायदे मिलेंगे।
- साउथ एशिया की वाइस प्रेसिडेंट एनी डिक्सन ने कहा, "भारत की ये परफॉर्मेंस केवल एक साल के दौरान की गई कोशिशों का नतीजा नहीं है, बल्कि ये पिछले तीन साल के दौरान लगातार की जा रही कोशिशों का परिणाम है।"
 

क्या वर्ल्ड बैंक हर साल यह रिपोर्ट जारी करता है?

- वर्ल्ड बैंक का डूइंग बिजनेस प्रोजेक्ट 190 देशों में बिजनेस नियमों में किए गए सुधारों को दर्शाता है। अकैडमिक्स, जर्नलिस्ट, प्राइवेट सेक्टर रिसर्चर्स और दूसरों को हर देश के बिजनेस क्लाइमेट के बारे में इस रिपोर्ट से पता चलता है।
- पहली डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2003 में जारी की गई थी, इसमें 5 इंडीकेटर्स थे और 133 देशों की इकोनॉमी को शामिल किया गया था। इस साल 11 इंडीकेटर्स और 190 इकोनॉमीज को कवर किया गया है।
- अगले साल भारत के आम चुनावों से कुछ महीनों पहले वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट आएगी।
- ऑफिशियल्स का मानना है कि सरकार के स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स खासतौर से GST की बदौलत भारत को ज्यादा बेहतर रैंक पर आएगा।
 
 
EXPERT VIEW: डीके जोशी, चीफ इकोनॉमिस्ट, क्रिसिल; अनिल भारद्वाज, जनरल सेक्रेटरी, फिस्मे; एससी रल्हन, पूर्व प्रेसिडेंट, फियो का कहना है कि 8 पैरामीटर सुधरे हैं, लेकिन जमीन पर 1 महीने से 4 साल तक देरी होती है।
 
 
1) बिजनेस शुरू करना
रैंकिंग: पिछली 155, नई 156
बदलाव: पैन और टैन के एप्लिकेशन फॉर्म एक किए। ऑनलाइन सिस्टम में सुधार। 
हकीकत:बिजनेस शुरू करने में अब भी 30 दिन लगते हैं। 12 तरह के प्रोसीजर से गुजरना पड़ता है।
 
2) कंस्ट्रक्शन परमिट 
रैंकिंग:
पिछली 185, नई 181
बदलाव: सिस्टम ऑनलाइन हुआ। परमिट लेने में समय कम लगता है। 
हकीकत: 30 तरह के प्रोसीजर के पालन में 144 दिन लगते हैं।
 
3) कर्ज लेना 
रैंकिंग:
पिछली 44, नई 29
बदलाव: नियमों में बदलाव से कंपनियों के लिए कर्ज लेना आसान हुआ है। 
हकीकत: बैंक कर्ज महंगा। इंडस्ट्री दूसरे स्रोतों से पैसे जुटा रही है। नोटबंदी से स्थिति और खराब हुई।
 
4) निवेशकों की सुरक्षा 
रैंकिंग:
 पिछली 13, नई 4
बदलाव: छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा अब पहले से मजबूत हुई है। 
हकीकत: छोटे निवेशकों के लिए सेबी ने कई कदम उठाए हैं।
 
5) टैक्स का पेमेंट 
रैंकिंग:
पिछली 172, नई 119
बदलाव: टैक्स के नियम आसान हुए हैं। ईपीएफओ पेमेंट भी इलेक्ट्रॉनिक। 
हकीकत:हर साल 13 तरह के भुगतान में 214 घंटे लगते हैं।
 
6) इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट 
रैंकिंग:
 पिछली 143, नई 146
बदलाव:नियमों में बदलाव से समय कम लगता है। मर्चेंट फीस भी खत्म। 
हकीकत: एक्सपोर्ट के डॉक्यूमेंट्स पूरे करने में 38 दिन और इम्पोर्ट के डॉक्यूमेंट्स में 61 दिन लगते हैं।
 
7) ज्यूडिशियल 
रैंकिंग:
 पिछली 172, नई 164
बदलाव:नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड लागू करने से हालात बेहतर हुए।
हकीकत: फैसले आने में अब भी एवरेज 1445 दिन लग जाते हैं।
 
8) इन्सॉल्वेंसी रैंकिंग: पिछली 136, नई 103
बदलाव:
नए कानून में इन्सॉल्वेंसी प्रॉसिजर के दौरान भी बिजनेस हो सकता है। 
हकीकत:फैसले आने में एवरेज 4.3 साल लगते हैं। रिकवरी का एवरेज भी 26.4% ही है।

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