Thursday, 22nd May 2025

चीन मोड़ेगा ब्रह्मपुत्र का बहाव: 1000 km लंबी सुरंग बनाएगा, तैयारियां शुरू

Tue, Oct 31, 2017 6:13 PM

बीजिंग/नई दिल्ली. चीन अपने सूखे इलाके शिनजियांग को कैलिफोर्निया जैसा बनाना चाहता है। इसके लिए वह ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को उस इलाके में ले जाना चाहता है। बीजिंग 1000 km लंबी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग बनाएगा, जिसके जरिये वह तिब्बत में इस नदी के पानी के बहाव को मोड़ते हुए शिनजियांग ले जाएगा। चीन के इंजीनियर अभी उन तकनीकों का परीक्षण कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल इस सुरंग को बनाने में किया जाएगा। बीजिंग के इस कदम पर एनवायर्नमेंटलिस्ट्स और भारत ने चिंता जताई है क्योंकि इससे हिमालयी क्षेत्र पर असर पड़ेगा।

 

दुनिया के सबसे ऊंचे पठार के कई हिस्सों से होकर निकलेगी सुरंग

 
 
न्यूज एजेंसी के मुताबिक हॉन्गकॉन्ग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में चीन की इस मंशा का खुलासा किया है। इसके मुताबिक ये प्रस्तावित सुरंग दुनिया के सबसे ऊंचे पठार के कई हिस्सों के नीचे से होकर निकलेगी, ये हिस्से कई झरनों के जरिये आपस में जुड़े हुए हैं। सुरंग चीन के सबसे बड़े एडिमिनिस्ट्रेटिव डिवीजन (शिनजियांग) के विशाल रेगिस्तान और सूखे घास के मैदानों को पानी मुहैया कराएगी।

 

पानी सप्लाई करने वाली दुनिया की सबसे लंबी सुरंग 137 km लंबी

 
चीन लियॉनिंग प्रोविंस के वाटर प्रोजेक्ट के तहत 85 km लंबी दाहूओफांग सुरंग बना चुका है, जो उसकी अब तक की सबसे लंबी सुरंग है। पानी सप्लाई करने वाली वर्ल्ड की 137 km की सबसे लंबी सुरंग न्यूयॉर्क में है।
 

100 वैज्ञानिकों ने बनाया ड्राफ्ट, युन्नान प्रोविंस में बन रही सुरंग

 
  • तिब्बत-शिनजियांग वाटर टनल का प्रपोजल तैयार करने के लिए चीन ने 100 से ज्यादा वैज्ञानिकों की कई टीमें बनाई थीं। इन्होंने देशभर में रिसर्च कर इसके प्रपोजल का ड्राफ्ट इसी साल मार्च में सरकार को सौंपा था। चीन के टॉप टनलिंग एक्सपर्ट वांग मेंगशू ने इन टीमों की अगुआई की। इसके बाद अगस्त में चीन सरकार ने युन्नान प्रोविंस के बीच में सुरंग पर काम करना शुरू कर दिया।
  • रिसर्चर्स का कहना है कि युन्नान सुरंग नई तकनीकों, इंजीनियरिंग के तरीकों और इक्विपमेंट्स के इस्तेमाल का रिहर्सल होगी, जिसके जरिये ब्रह्मपुत्र के पानी के बहाव को मोड़कर शेनजियांग के तकलामाकन (Taklamakan) रेगिस्तान तक पहुंचाया जाएगा।
 

1 नदी, 3 नाम

साउदर्न तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग तसांगपो भी कहा जाता है। यह कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील से साउथ-वेस्ट में स्थित तमलुंग त्सो (झील) से होते हुए निकलती है। तिब्बत से होते हुए यह भारत के अरुणाचल प्रदेश में चली जाती है। यहां इसे इसेसियांग नदी के नाम से जाना जाता है। यही नदी आगे चलकर और चौड़ी हो जाती है और तब इसका नाम ब्रह्मपुत्र हो जाता है।
 

ब्रह्मपुत्र पर कई बांध बना चुका है चीन


यारलुंग तसांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी का पानी भारत और बांग्लादेश भी इस्तेमाल करते हैं। इसलिए नई दिल्ली पहले ही इसे लेकर बीजिंग से चिंता जता चुका है। यूं तो यह नदी चीन और भारत दोनों में बहती है, लेकिन चीन बरसों से इसके पानी पर अपना अधिकार जता रहा है। वह ब्रह्मपुत्र नदी पर पहले ही कई बांध बना चुका है और नए भी बना रहा है और अब वह इसका पानी सुरंग के जरिए शिनजियांग में ले जाना चाहता है।
 

भारत को क्या है चिंता?

 
  • ब्रह्मपुत्र के बहाव को बदलकर इसका पानी इस्तेमाल करने के चीन के इरादे को भारत अक्सर बाइलेट्रल बातचीत में उठाता रहा है और बीजिंग द्वारा बनाए जा रहे बांधों का विरोध करता रहा है।
  • भारत में एनवायर्नमेंटलिस्ट्स का एक तबका ऐसा भी है, जो उत्तराखंड में 2016 में आई बाढ़ के लिए चीन को जिम्मेदार मानता है। इनका मानना है कि चीन द्वारा किए जा रहे कामों ने कुदरत के नियमों का वॉयलेशन किया है, जिसका भुगतान भारत को उत्तराखंड में हजारों जानें देकर चुकाना पड़ा। एनवायर्नमेंटलिस्ट्स का ये भी कहना है कि चीन की सुरंग से हिमालयी क्षेत्र को गंभीर नुकसान होगा।

 

चीन का तर्क


भारत के एतराज पर चीन का कहना है कि उसने बांध रिवर प्रोजेक्ट्स को चलाने के लिए बनाए हैं न कि पानी को स्टोर करने के लिए।
 

नहीं है कोई वाटर ट्रीटी


भारत-चीन के बीच कोई वाटर ट्रीटी नहीं है। हालांकि दोनों देशों ने बॉर्डर के दोनों ओर बहने वाली नदियों को लेकर एक एक्सपर्ट लेवल मैकेनिज्म (ELM) बना रखा है। अक्टूबर 2013 में दोनों देशों की सरकारों ने नदियों पर कोऑपरेशन को मजबूती देने के लिए एक एमओयू पर साइन भी किए थे।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery