भोपाल। महिला एवं बाल विकास विभाग ने पूरक पोषण आहार खरीदी के लिए टेंडर की शर्तें तय कर ली हैं। नई शर्तों के मुताबिक अत्याुनिक प्लांट रखने वाले स्व-सहायता समूह और महिला मंडल ही आंगनवाड़ियों को पोषण आहार सप्लाई कर पाएंगे। ये प्रस्ताव दूसरी बार वित्त विभाग को भेजा गया है। वहां से लौटने के बाद कैबिनेट में जाएगा। इस हिसाब से पूरक पोषण आहार की नई व्यवस्था जनवरी 2018 से ही लागू हो पाएगी।
हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश के बाद विभाग ने नई पोषण आहार व्यवस्था पर काम शुरू कर दिया है। संभागीय स्तर पर टेंडर जारी करने और टेंडर की शर्तें भी तय हो चुकी हैं। अब वित्त की सहमति और कैबिनेट का अनुमोदन होना है। विभाग ने 15 दिन पहले टेंडर की शर्तें तय कर वित्त को प्रस्ताव भेजा था। इससे वित्त विभाग के अफसर सहमत नहीं थे और उन्होंने प्रस्ताव लौटा दिया था। उन कमियों को पूरा करके विभाग ने दोबारा वित्त को प्रस्ताव भेजा है जो अगले हफ्ते सहमति के साथ वापस आने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने ये व्यवस्था पिछले साल बनाई थी, जिसके खिलाफ एक स्वयंसेवी संगठन ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने 14 सितंबर को इस याचिका को खारिज करते हुए सरकार से 30 दिन में नई व्यवस्था लागू करने को कहा था। ये अि 13 अक्टूबर को पूरी हो गई है। इसके पहले ही विभाग वित्त को प्रस्ताव भेज चुका था।
ये रहेंगी शर्तें
सूत्र बताते हैं कि टेंडर की शर्तों में भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की तमाम शर्तें समाहित हैं। मसलन, अत्याुनिक प्लांट होना चाहिए, प्लांट में कम से कम मानव हस्तक्षेप हो जिन्हें पूरा करना मुश्किल माना जा रहा है।
इनका कहना है
टेंडर की शर्तें तय कर प्रस्ताव वित्त विभाग को भेज दिया है। वहां से सहमति मिल जाए, फिर कैबिनेट में प्रस्ताव जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर देंगे - जेएन कंसोटिया, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग
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