Friday, 23rd May 2025

जानापाव की नदियों के पुनर्जीवन का मामला, नहीं बन पा रही योजना

Sun, Oct 29, 2017 5:10 PM

इंदौर । भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव के ऐतिहासिक पर्वत से निकलने वाली साढ़े सात नदियों के पुनर्जीवन के लिए दो साल पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने घोषणा की थी। लेकिन राज्य सरकार के अफसरों को भी पहाड़ खोदने जैसी लग रही है, इसीलिए यह योजना राजनीतिक जुमला बनकर रह गई है।

सरकार की घोषणा के बाद चंबल, चोरल, गंभीर और इसकी सहायक नदियां अजनार, कारम, अंगरेर, धमनी और नखेरी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जिला स्तर पर एक समिति बनी है। इसमें जिला पंचायत, जल संसान, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा और वन विभाग के अफसर शामिल हैं। इन्हें यही समझ नहीं आ रहा कि करना क्या है। इसलिए अब तक डीपीआर भी नहीं बन पाई।

जिला स्तर पर बनी समिति ने कलेक्टर को लिखकर दिया है कि नर्मदा घाटी विकास प्राकिरण (एनवीडीए) ने सिंहस्थ के लिए नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना का निर्माण किया था, इसलिए वह यह काम बेहतर तरीके से कर सकता है। फिलहाल यह प्रस्ताव कलेक्टर कार्यालय में पड़ा है।

जल संसान विभाग के कार्यपालन यंत्री एससी अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की है। चंबल की सहायक नदियां बनकर गंभीर और अंगरेर नदी यमुना और गंगा नदी के जरिये बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती हैं। जबकि चोरल, अजनार, कारम, धमनी और नखेरी नर्मदा में मिलकर अरब सागर में समाती हैं। इन नदियों का उद्गम जानापाव पर्वत के ब्रह्मकुंड और इसके आसपास से माना जाता है।

जानापाव पर्वत

इंदौर जिले के महू से करीब 15 किलोमीटर दूर विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में जानापाव पर्वत है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जानापाव में स्थित जनकेश्वर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि ने त्रेतायुग में की थी। पर्वत पर भार्गववंशी ऋषि जमदग्नि का आश्रम है।

राह में ये मुश्किल भी

-नदियों के रास्ते में अलग-अलग गांवों में अतिक्रमण हो चुके हैं। इन्हें हटाना अधिकारियों को मुश्किल लग रहा है। इन्हें हटाए बिना नदियों का उद्धार संभव नहीं है।

-कई जगह नदियां नालों में बदल गई हैं। नदियों में पानी की आवक बढ़ाने के उपाय करना पड़ेंगे। जल संसान विभाग, जिला पंचायत के पास इसका बजट और संसान नहीं है।

पहले इसे समझना होगा

मुख्यमंत्रीजी ने घोषणा की है तो काम होगा, लेकिन पहले इसे समझना होगा। देखकर ही बता सकता हूं कि क्या चिट्ठी आई है और इसमें किस तरह काम किया जा सकता है - निशांत वरवड़े, कलेक्टर

बजट और संसान की कमी

जिला पंचायत के लिए ये काम करना मुश्किल हो रहा है। बजट और संसानों की कमी है। अब तो वॉटरशेड भी बंद होने वाला है। वैसे भी वॉटर शेड में बहुत कम बजट के छोटे-छोटे काम होते हैं। नदियों का पुनर्जीवन तो विशाल परियोजना है - डॉ. जमाल एहमद खान, तकनीकी विशेषज्ञ, वॉटर शेड सेल, जिला पंचायत

प्रोजेक्ट की जानकारी नहीं

प्रोजेक्ट की मुझे जानकारी नहीं है। एनवीडीए के पास ऐसे प्रोजेक्ट के लिए पहले से कोई बजट नहीं रहता। कोई भी योजना हो, उसका प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेजा जाएगा, तभी इसकी राशि मंजूर की जा सकेगी - रज्जन रोहित, मुख्य अभियंता, एनवीडीए

नर्मदा का पानी लाने की हुई थी बात

चालीस-पचास साल पहले इन नदियों में जनवरी तक पानी रहता था, अब अक्टूबर में ही सूख जाती हैं। वर्ष 2015 में परशुराम जयंती पर मुख्यमंत्री जानापाव पर्वत आए थे तब नदियों के पुनर्जीवन की घोषणा की थी। यहां पाइपलाइन से नर्मदा का पानी लाकर नदियों को जीवित करने की बात हुई थी - अनोखीलाल चौरी, पूर्व सरपंच, जानापाव कुटी

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