बिहार में कैसे मनाया जा रहा है छठ पर्व, ऐसी हैं यहां परंपराएं
Wed, Oct 25, 2017 7:11 PM
पटना. भगवान भास्कर की आराधना का महापर्व छठ मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। बुधवार को व्रती खरना ( दूसरा दिन- इस दिन व्रती पानी तक नहीं पीते) कर रहीं हैं। गुरुवार को शाम अर्घ्य और शुक्रवार की सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद व्रती पारण (सुबह का अर्घ्य देने के व्रत तोड़ेंगे) करेंगे। पारण के साथ ही चार दिवसीय अनुष्ठान पूरा होगा। गंगा घाट पर उमड़ी भीड़...
- मंगलवार को व्रतियों ने पूरी आस्था पवित्रता के साथ स्नान-ध्यान कर नहाय-खाय का अनुष्ठान किया। फिर सूर्य भगवान की विधिवत पूजा-अर्चना की। प्रसाद के रूप में अरवा चावल का भात, कद्दू की सब्जी, चने की दाल, कद्दू, आलू अगस्त के फूल का बजका, आंवले की चटनी आदि ग्रहण की। नहाय-खाय के स्नान के लिए सुबह से ही पटना के गंगा घाटों पर भारी भीड़ उमड़ी।
खरना के दिन खीर रोटी का प्रसाद
आज खरना है। खरना के दिन व्रती पूरे दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं करते। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर दूध, गुढ़ और चावल से खीर बनाया जाता है। खीर के साथ रोटी और सब्जी भी बनाई जाती है। शाम को व्रती अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं और उन्हें खीर और रोटी का भोग चढ़ाते हैं। पूजा के बाद खीर और रोटी का प्रसाद घर के लोग ग्रहण करते हैं। जिन लोगों के घर छठ पूजा नहीं हो रही हो या अपने घर से दूर हों उन्हें अपने घर बुलाकर खीर रोटी का प्रसाद दिया जाता है।
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