श्योपुर (हरिओम गौड़)। बड़ौदा तहसील के जाखदा-जागीर गांव में डिफेंस रिसर्च एंड डवलप ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) का अनुसंधान केंद्र खुलने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। रक्षा मंत्रालय ने जाखदा-जागीर क्षेत्र में 1194 हेक्टेयर जमीन को मप्र शासन से खरीदने के लिए 34.75 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत कर दिया है। इस महीने के अंत तक जमीन की यह राशि श्योपुर जिला प्रशासन के खाते में जमा करवा दी जाएगी।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले डीआरडीओ ने हाईटेक अनुसंधान केंद्र खोलने के लिए श्योपुर के जाखदा क्षेत्र की जमीन को पसंद किया है। जाखदा गांव की जमीन को डीआरडीओ दिल्ली व अगरा के वैज्ञानिकों ने तीन चरणों की जांच-पड़ताल के बाद फाइनल किया है।
सवा साल पहले वैज्ञानिकों को जमीन पसंद आ गई और जाखदा क्षेत्र में अनुसंधान केंद्र के लिए 1194.274 हेक्टेयर जमीन आवंटन की मांग जिला प्रशासन को दे दी, लेकिन जिला प्रशासन ने इस जमीन को देने के बदले डीआरडीओ से 34 करोड़ 75 लाख 33 हजार 734 रुपए की मांग की। इतनी बड़ी राशि का डीआरडीओ बिना रक्षा मंत्रालय की अनुमति के खर्च नहीं कर सकता।
डीआरडीओ ने करीब एक साल पहले इस राशि की मांग रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार से की। एक साल के इंतजार के बाद दिवाली से दो दिन पहले 17 अक्टूबर को रक्षा मंत्रालय के रिसर्च एण्ड डपवल विभाग की अंडर सेकेट्री हर्षा रानी ने जाखदा गांव की जमीन को डीआरडीओ के लिए खरीदने के लिए 34 करोड़ 75 लाख 33 हजार 734 रुपए का बजट स्वीकृत कर दिया है।
2 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट होगा विकसित
जाखदा जागीर गांव की जमीन में अनुसंधान केंद्र विकसित करने के लिए डीआरडीओ 2 हजार करोड़ रुपए का बजट खर्च करेगा। डीआरडीओ की जो तीन टीमें श्योपुर आईं उन्होंने जाखदा-जागीर की जमीन पर बंकर और बैलून यूनिट के अलावा प्रशिक्षण केंद्र खोलने की बात कही थी।
श्योपुर में बनने वाले अनुसंधान केंद्र में डीआडीओ सैनिकों के बंकरों को विकसित करने के अलावा मौसम की जानकारी लेने वाले बैलून को तकनीकी स्तर पर और समृद्ध करने का काम करेगी। इनके अलावा सेना के हेलीकॉप्टर को विकसित करने व उनके पायलेट को ट्रेनिंग देने का काम और पुराने हथियारों को मॉडीफाई करके आधुनिक बनाने का काम भी इस अनुसंधान केन्द्र में होगा।
भू-माफिया से मुक्त कराई है ये जमीन
जाखदा जागीर जिस जमीन पर डीआरडीओ का अनुसंधान केंद्र विकसित होगा वह जमीन जनवरी 2016 में कलेक्टर पीएल सोलंकी और तत्कालीन एसडीएम आरके दुबे ने भू-माफिया से मुक्त कराई है। ये जमीन सरकारी है, लेकिन फर्जी पट्टे व रजिस्ट्रियों के आधार पर जाखदा जागीर में 4 हजार बीघा से ज्यादा जमीन पर राजस्थान, दिल्ली व हरियाणा तक के भू-माफिया ने कब्जा कर रखा था।
शर्त मानते तो डीआरडीओ को मुफ्त मिलती जमीन
डीआरडीओ ने यह जमीन जिला प्रशासन से नि:शुल्क मांगी थी। कलेक्टर पीएल सोलंकी इस जमीन को नि:शुल्क देने को भी राजी हो गए,लेकिन एक शर्त रख दी। उस शर्त के अनुसार अनुसंधान केंद्र में 11 हजार 500 रुपए मूल वेतन वाले जितने भी पद होंगे उन पदों पर मप्र के बेरोेजगारों को नौकरी देनी होगी तभी जमीन नि:शुल्क मिलेगी। कलेक्टर की इस शर्त पर डीआरडीओ राजी नहीं हुआ। इसलिए रक्षा मंत्रालय ने उक्त जमीन को पैसे देकर मप्र सरकार से खरीदने का निर्णय लिया।
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