भोपाल। राज्य मंत्रालय 'वल्लभ भवन" आने वाले बाहरी व्यक्ति का रिकॉर्ड अब सरकार को सार्वजनिक करना होगा। सूचना का अधिकार के तहत इस तरह के आवेदन को व्यक्तिगत जानकारी बताकर खारिज नहीं किया जा सकता है। राज्य सूचना आयोग ने अजय दुबे की अपील पर यह फैसला सुनाया है। साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग के 14 नवंबर 2014 के जानकारी नहीं देने संबंधी आदेश को भी निरस्त कर दिया गया है।
सूचना का अधिकार आंदोलन के कार्यकर्ता अजय दुबे ने सामान्य प्रशासन विभाग से मंत्रालय में आने वाले गैर शासकीय व्यक्तियों की सूची मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने आवेदन खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ दुबे ने राज्य सूचना आयोग में अपील दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त हीरालाल त्रिवेदी ने फैसला दिया है कि ऐसी सूचना, जिसे संसद या किसी विधान मंडल को देने से इनकार नहीं किया जा सकता, किसी व्यक्ति को देने से इनकार नहीं किया जा सकेगा।
आवेदन में किसी की व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगी गई है। आम नागरिक चाहे मंत्रालय में विजिट करे या म्यूजियम या फिर दर्शनीय स्थल जाए, वहां सिर्फ व्यक्ति का नाम और पता लिखा होता है। इसमें कोई निजी जानकारी नहीं रहती है। रिकॉर्ड रजिस्टर या फिर कम्प्यूटर में दर्ज रहता है। इसकी प्रति देने में किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है, लिहाजा जानकारी देने से मना नहीं किया जा सकता है।
त्रिवेदी ने सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि आवेदक जानकारी लेने का हकदार है। हालांकि, इसके लिए उन्हें दोबारा आवेदन करना होगा, क्योंकि उन्होंने पहले जानकारी के लिए जरूरी शुल्क 170 रुपए जमा नहीं कराए थे। दुबे का कहना है कि वे नए सिरे से आवेदन कर जानकारी हासिल करेंगे, ताकि यह खुलासा हो सके कि किसी विभाग में सर्वाधिक बाहरी लोग आते-जाते हैं।
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