Thursday, 22nd May 2025

चीन में माओवाद के बाद जिनपिंगवाद; अब शी के विचारों को संविधान में पढ़ेगा देश

Wed, Oct 25, 2017 6:34 PM

बीजिंग.चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ने 19वीं कांग्रेस में प्रेसिडेंट शी जिनपिंग की विचारधारा को संविधान में शामिल कर लिया। उन्हें चीन के पहले कम्युनिस्ट नेता और राष्ट्रपिता कहे जाने वाले माओत्से तुंग के बराबर दर्जा दिया गया है। यानी वो मौजूदा वक्त में चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बन गए हैं। जिनपिंग को दूसरा कार्यकाल मिलना तय है, जिसका औपचारिक तौर पर एलान बुधवार को होगा। शी के थॉट पर चीन में बनेंगी नीतियां...
 
- कांग्रेस में सीपीसी के सभी 2287 सदस्यों ने संविधान में ‘शी जिनपिंग थॉट' को शामिल करने के पक्ष में वोटिंग की। विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। 
- अब चीन के स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ‘शी जिनपिंग थॉट’ को पढ़ाया जाएगा। सरकारी कर्मचारी और सीपीसी के 9 करोड़ कार्यकर्ताओं को भी इसके बारे में बताया जाएगा। 
- इस थॉट पर चीन में नीतियां भी बनेंगी। सीपीसी ने इस नए युग को आधुनिक चीन का तीसरा चैप्टर बताया है। जिनपिंग को दूसरा कार्यकाल मिलना तय है। इसका औपचारिक एलान बुधवार को होगा।
 
नंबर दो:चीन में ‘शी जिनपिंग थॉट’ से पहले दो नेताओं के विचार को सीपीसी ने संविधान में शामिल किया था। इनमें पहला नाम माओत्से तुंग है। माओ थॉट को पार्टी ने उनके जिंदा रहते ही संविधान में जगह दी थी। दूसरा नाम देंग जियाओपिंग का है।
 
‘शी थॉट’ में 14 सिद्धांत: एक देश, दो सिस्टम
‘शी जिनपिंग थॉट’ कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा जैसी ही है। इसके आधार पर ही जिनपिंग ने 5 साल तक शासन किया है। इसमें 14 सिद्धांत हैं।4 खास बातें...
- देश में पूर्ण और बड़े सुधार की पहल और नए विकासशील विचारों को अपनाना। 
- मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण जीवन का वायदा। पर्यावरण संरक्षण, ताकि देश की ऊर्जा जरूरतों को नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा पूरा किया जा सके। 
- पीपल्स आर्मी पर कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्ण अधिकार पर जोर। मकसद, चीन के आधुनिक इतिहास में बड़ा बदलाव लाना। वरिष्ठ मिलिट्री अधिकारियों से बातचीत। 
- एक देश, दो सिस्टम की महत्ता पर जोर देना। इसके माध्यम से हांगकांग और ताइवान के लोगों को अपनी मातृभूमि चीन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
 
चीनी समाजवाद के 3 अहम पड़ाव; अब जिनपिंग युग..
पहला: चीनी समाजवाद का पहला चरण सीपीसी के चेयरमैन माओत्से तुंग के समय में शुरू हुआ था। माओ ने गृह युद्ध में फंसे चीन को निकालने के लिए लोगों को एकजुट किया था। 
दूसरा: दूसरा चरण देंग जियाओपिंग का रहा। जिनके शासनकाल में चीन पूंजीवाद की तरफ बढ़ा। उन्होंने चीन को आर्थिक रूप से ताकतवर बनाया। 
तीसरा: जिनपिंग का दौर। उन्होंने चीन को अमेरिका के बाद दूसरी सुपर पॉवर के तौर पर खड़ा किया है। भ्रष्टाचार के विरोध में लड़ाई शुरू की।
 
सीपीसी कांग्रेस के संशोधित संविधान की दो बड़ी बातें..
- शी जिनपिंग थॉट चीनी समाजवाद के नए युग की शुरुआत है। इसके नए तत्व पार्टी को नए कदम उठाने में गाइड के तौर पर काम आएंगी। 
- पार्टी देश में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को तेज और बड़े पैमाने पर चलाएगी। कांग्रेस में सीपीसी सदस्यों ने इसकी शपथ भी ली। 
मायने: शी जिनपिंग अब चीन के सबसे ताकतवर व्यक्ति बन गए हैं। अब प्रतिद्वंद्वी भी उन्हें बिना कम्युनिस्ट पार्टी के नियमों का हवाला दिए चुनौती नहीं दे सकते हैं।
 
भारत-चीन संबंध
भारत के खिलाफ चीन पहले से ज्यादा सख्त हो सकता है
- सीपीसी के एजेंडे से लगता है कि हिंद महासागर में उसका असर बढ़ेगा। चीन की सप्लाई लाइन इसी रास्ते है। भारत यहां चीनी नौसेना की मौजूदगी पर एतराज जता चुका है। 
- चीन की वन बेल्ट, वन रोड परियोजना में नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका की भागीदार हैं। चीन के साथ इन देशों की पार्टनरशिप बढ़ी है। भारत इसके लिए क्या रणनीति बनाता है, यही बड़ी चुनौती है। 
- कश्मीर, अरुणाचल और डोकलाम में सीमा विवाद और कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग जैसे मुद्दों पर चीन सख्त रुख दिखा सकता है। 
- भारत में कुल आयात का 16% सामान चीन से आता है। यह आयात 4.11 लाख करोड़ रु. है। निर्यात 68 हजार करोड़ रु. का है। यानी निर्यात के मुकाबले 6 गुना ज्यादा आयात है।

अब कट्‌टरवादी राष्ट्रवाद को शी जिनपिंग और आगे बढ़ाएंगे 
जी पार्थसारथी, विदेशी मामलों के विशेषज्ञ

शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन पड़ोसियों के खिलाफ काफी आक्रामक हुआ है। खासकर, समंदर में। वियतनाम, जापान, फिलीपींस, ताइवान आदि देशों के साथ उसके विवाद बढ़े हैं। कई जगहों पर चीन ने बल प्रयोग भी किया। उनकी सीमा विस्तारवादी नीति बहुत खतरनाक है। जिनपिंग अब अति कट्‌टर राष्ट्रवाद को और आगे बढ़ाएंगे। उनका मानना है कि वह दुनिया में आर्थिक और सामाजिक रूप से सबसे आगे थे, हैं और रहेंगे। उनका मुकाबला सिर्फ अमेरिका से है। शी उससे भी आगे भी निकलना चाहते हैं। भारत के सामने शी का कट्‌टर राष्ट्रवाद बड़ी चुनौती है। क्योंकि चीन पड़ोिसयों की चिंताओं और आकांक्षाओें के बारे में नहीं सोचता है। वह सिर्फ दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनना चाहता है। हालांकि डोकलाम विवाद के बाद भारत की छवि दुनिया में बदली है। क्योंकि अभी तक चीन से इतनी आसानी से कोई नहीं निपट सका था। पर वे इसका बदला जरूर लेंगेे, भूलेंगे नहीं। वन बेल्ट, वन रोड इन्हें फंसाएगा, क्योंकि चीन ने सहयोगी देशों को पैसा दे रखा है। वे वापस नहीं कर पाएंगे। यह श्रीलंका के हम्बनटोटा में देखने को मिला। चीन और भारत के बीच सहयोग और मतभेद चलता रहेगा। भारत काे इनके साथ सोच-समझकर व्यवहार करना चाहिए। शी ने चीन को बढ़ाने के लिए विदेशी पूंजी निवेश का भी प्रयोग किया है। हालांकि, इन्होंने देंग जियाओपिंग की नीतियों को ही आगे बढ़ाया है।
 
वर्ल्ड मीडिया
द असाही शिंबून: शी के वफादार कर रहे गुणगान

चीन में जिनपिंग के वफादार ही उनका गीत गाकर जश्न मना रहे हैं। इसमें लोगों को जबरन शामिल किया जा रहा है। 
द गार्डियन: शी के नेतृत्व में बदलेगा संविधान
शी जिनपिंग के ताकतवर होने से उनके विरोधियों का सफाया हो गया है। इससे चीन के संविधान संशोधन का रास्ता भी खुल गया है। 
न्यूयॉर्क टाइम्स: शी के बाद कौन, जवाब बाकी..
शी जिनपिंग चीन के सबसे शक्तिशाली नेता हैं। उनका उत्तराधिकारी कौन होगा? इसके लिए चीन की जनता को इंतजार करना होगा। 
बीबीसी: शी, माओ के बाद सबसे बड़े नेता बने
शी ने सत्ता में आने के बाद ही पूर्ववर्ती नेताओं के उलट विचार पेश किए। यही वजह है कि अब माओ के बाद वह दूसरे सबसे बड़े नेता हैं।

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