Thursday, 22nd May 2025

चयन में देरी से सीएम की मौजूदगी में नहीं हो पाया भाजपा उम्मीदवार का नामांकन

Tue, Oct 24, 2017 4:30 PM

भोपाल.चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवार शंकरदयाल त्रिपाठी द्वारा 23 अक्टूबर को नामांकन पत्र जमा करते समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद नहीं रहे। जबकि उम्मीदवार चयन के लिए 18 अक्टूबर को बैठक इसलिए बुलाई गई थी, क्योंकि 22 अक्टूबर को मुख्यमंत्री अमेरिका यात्रा पर जाने वाले थे। बैठक भी हुई, जिसमें कई नामों पर विचार हुआ, लेकिन उम्मीदवार का नाम तय होने में तीन दिन लग गए। ऐसा पहली बार हुआ जब सीएम की अनुपस्थिति में किसी उप चुनाव में पार्टी उम्मीदवार ने अपना नामांकन पत्र भरा।
 
- पार्टी सूत्रों के अनुसार चित्रकूट उप चुनाव के लिए मुख्यमंत्री की पसंद का प्रत्याशी उम्मीदवार नहीं बन सका। उम्मीदवार चयन में प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री सुहास भगत और महामंत्री वीडी शर्मा की भूमिका प्रमुख थी।
- दरअसल, मुख्यमंत्री पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार को उम्मीदवार बनाने के पक्ष में थे, परंतु स्थानीय स्तर पर उनका कुछ विरोध था। बैठक के दौरान भी मुख्यमंत्री ने उपस्थित नेताओं से कहा था कि गहरवार के खिलाफ उपजी नाराज़गी को बातचीत के माध्यम से दूर कर उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाए।
- इस दौरान सुभाष शर्मा का नाम दूसरी पसंद के तौर पर उभरा था। चूंकि वे पुराने कांग्रेसी है, इसलिए उनके नाम पर सहमति नहीं बन सकी। बैठक के दौरान त्रिपाठी के नाम पर भी चर्चा हुई थी, मगर अधिकांश नेताओं को लग रहा था कि गहरवार का नाम तय हो जाएगा, क्योंकि वे मुख्यमंत्री की पसंद थे।
- लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यही वजह है कि बैठक के बाद तीन दिनों तक प्रत्याशी का नाम तय नहीं हो सका थाऔर इस बीच 21 अक्टूबर की शाम मुख्यमंत्री अमेरिका के लिए रवाना हो गए। भाजपा नेता इस बात से भी इंकार नहीं कर रहे कि जानबूझ कर इस मामले में देरी की गई है।
 
यूपी के ‘चित्रकूट’ में भगवा
- उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र, कभी समाजवादियों का गढ़ माना जाता था। बाद में बसपा और कांग्रेस ने क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम किया। खासबात यह है कि उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में चित्रकूट नाम से दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र हैं।
- ये दोनों क्षेत्र एक-दूसरे से लगे हुए हैं। इसी साल मार्च में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में, वहां के चित्रकूट सीट से भाजपा के चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने सपा प्रत्याशी को 27 हजार मतों के बड़े अंतर से हराया है। देखना यह होगा कि उत्तरप्रदेश में 6 माह पहले भाजपा के पक्ष में बही बयार मध्यप्रदेश के चित्रकूट सीट पर होने वाले उपचुनाव पर क्या असर डालेगी?
 
उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की प्रतिष्ठा है दांव पर
 
- प्रदेश में चुनावी वर्ष में होने वाले विधानसभा उप चुनाव के लिए दोनों दलों ने कमर कस ली है, परंतु सत्तारूढ़ भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस की ओर से विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की प्रतिष्ठा उपचुनाव में दांव पर होगी। भाजपा स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री की अगुवाई में ही किसी भी चुनाव के मैदान में उतरती है, वहीं चित्रकूट, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कार्यक्षेत्र है।
- पार्टी के उम्मीदवार नीलांशु चतुर्वेदी भी अजय सिंह की पसंद बताए जाते हैं। नीलांशु ने भी सोमवार को नामांंकन भरा। कांग्रेस के कब्जे से इस सीट को हथियाने के लिए प्रदेश भाजपा संगठन ने प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा और उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने चित्रकूट में मोर्चा संभाल लिया है।
 
 
भारतीय जनता पार्टी का 
गढ़ नहीं है राम नगरी 
चित्रकूट के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है, कि एक बार 2008 को छोड़कर भाजपा को यहां कभी सफलता नहीं मिली, इसमें भी मतों का अंतर बहुत कम मात्र 700 रहा। दिवंगत कांग्रेस विधायक प्रेमसिंह साल 1998, 2003 और 2013 में भारी मतों के अंतर से जीतते रहे है। 2013 विधानसभा चुनाव में प्रेमसिंह ने भाजपा के पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार को 12 हजार मतों से हराकर जीता था|
 
 
दो अफसरों ने बढ़ाई मुश्किलें
चित्रकूट सीट के खुद के सर्वे में भाजपा ने पाया है कि पार्टी के पक्ष में पूरी तरह से माहौल अनुकूल नहीं है। कांग्रेस के पक्ष में जहां सहानुभूति है, वहीं भाजपा के सामने प्रत्याशी का चेहरा सहित एंटी इनकमबेंसी महत्वपूर्ण मुद्दा है। दूसरी तरफ हाल ही में भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त दलित आईएएस महिला अधिकारी शशि कर्णावत, रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी और सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष आजाद सिंह डबास की चित्रकूट में सक्रियता ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। कर्णावत ने बिछियन नरसंहार की पीड़ित लड़की को चित्रकूट के उपचुनाव में प्रत्याशी के तौर पर उतारा है।

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