- न्यूज एजेंसी के मुताबिक फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन रवीश कुमार ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "यह बहुत अहम है कि सीमा विवादों को लेकर बनी सहमति का दोनों पक्षों द्वारा ईमानदारी से सम्मान किया जाए।"
- कुमार ने चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन के उस बयान पर यह कमेंट किया, जिसमें कहा गया था कि सिक्किम का एक हिस्सा अभी भी विवादित है। कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने इस मामले और चीनी ऑफिशियल्स के कमेंट पर गौर किया है। डोकलाम सेक्टर के बारे में एक सवाल पर कुमार ने कहा, "वहां कोई नई गतिविधि नहीं हुई है और 28 अगस्त के बाद से यथास्थिति बहाल है। इसके उलट आ रही सारी खबरें गलत हैं।"
दोनों देशों के बीच SRs लेवल की बातचीत जारी है
- रवीश कुमार ने कहा, "भारत-चीन सीमा मसले पर दोनों देशों के बीच SRs (स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स) लेवल की बातचीत चल रही है। समय-समय पर बनी सहमतियों के आधार पर इनकी मीटिंग्स होती हैं। इस बातचीत में आखिरी सहमति 2012 में बनी थी। इसलिए यह बहुत अहम है कि इन सहमति का ईमानदारी से सम्मान किया जाए।"
1890 की संधि माने भारत: चीन
- चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से 9 अक्टूबर को जारी बयान में कहा गया था कि सिक्किम में भारत-चीन बॉर्डर को 1890 के ऐतिहासिक यूके-चीन समझौते के तहत तय किया गया था, यह समझौता ही इस सच्चाई का सबसे अच्छा सबूत है। हम भारत से अपील करते हैं कि वह इस सच को माने और इस ऐतिहासिक सीमा समझौते के प्रावधानों (provisions) और दोनों पक्षों के बीच प्रासंगिक समझौते को माने। साथ ही हमारे साथ मिलकर बॉर्डर एरिया में शांति बनाए रखने पर काम करे।
इंडियन आर्मी को डोकलाम से लौटने का आदेश
- डोकलाम एरिया में तैनात इंडियन आर्मी के अतिरिक्त सैनिकों को गुरुवार को वहां से वापस लौटने का आदेश दिया गया। सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक महीने में पूरी होगी।
- इंडियन आर्मी का ये कदम सिक्किम बॉर्डर के नाथु ला इलाके में डिफेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण के दौरे के बाद सामने आया है।
- सीतारमण ने 8 अक्टूबर को नाथु ला पोस्ट का दौरा किया था। वहां उन्होंने चीनी सैनिकों से मुलाकात की थी और उन्हें भारतीय परंपरा में नमस्ते करना भी सिखाया था। भारत के इस पहल की चीनी मीडिया में काफी तारीफ हुई थी। इसके बाद चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा था कि हम बॉर्डर पर भारत के साथ शांति के लिए तैयार हैं।
38 मीटिंग्स के बाद निकला था डोकलाम का हल
- 16 जून को शुरू हुए डोकलाम विवाद का हल 28 अगस्त को सामने आया था। दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक लेवल पर 38 मीटिंग्स के बाद भारत-चीन के बीच जवानों का ‘डिसइंगेजमेंट’ करने पर रजामंदी बनी थी। चीन ने बॉर्डर से सड़क बनाने के इक्विपमेंट और बुलडोजर्स हटाने और भारत ने वहां से अपने सैनिकों को हटाने पर सहमति जताई थी।
चीन के सड़क बनाने पर शुरू हुआ था विवाद
- चीन सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बना रहा था। यह घटना 16 जून को सामने आई थी। भारत ने विरोध जताया तो चीन ने घुसपैठ कर दी थी। चीन ने भारत के दो बंकर तोड़ दिए थे।
- डोकलाम के पठार में ही चीन, सिक्किम और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर दावा करते हैं। भारत भूटान का साथ देता है। भारत में यह इलाका डोकलाम और चीन में डोंगलोंग कहलाता है।
क्या वाकई ईमानदार है चीन?
- कुछ दिनों पहले ऐसी खबरें सामने आई थीं कि चीन अब डोकलाम के विवादित इलाके से 12 km दूर सड़क बना रहा है और धीरे-धीरे अपनी सेना वहां बढ़ा रहा है। हालांकि भारतीय अफसरों का दावा है कि चीन विवादित इलाके में ही रोड को बढ़ा रहा है। कंस्ट्रक्शन इम्प्लॉईज को उसके 500 जवान सिक्युरिटी दे रहे हैं।
सिक्किम के कई इलाकों पर चीन करता है दावा
- सिक्किम का मई 1975 में भारत में विलय हुआ था। चीन पहले तो सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करता था, लेकिन 2003 में उसने सिक्किम को भारत के राज्य का दर्जा दे दिया। हालांकि, सिक्किम के कई इलाकों को वह अब भी अपना बताता है। जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश के बीच 3488 km लंबी सीमा में से 220 km लंबी सीमा सिक्किम में पड़ती है।
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